ज़िंदगी की एक और दोपहर बीत गई August 22, 2012 ज़िंदगी की एक और दोपहर बीत गई और मैं बस देखता रह गया कुछ साथ आए और कुछ पीछे छुटते गए फिर भी मैंने हार नहीं मानी और लोगों को जोड़ता गया जोड़ तोड़ के इस खेल में मैं खुद ही टूटता गया फिर भी अब अगली दोपहर का इंतजार है अक्टूबर, 2007, मुंबई Read more
दोस्ती की इबादत August 21, 2012 जिनसे मैंने दोस्ती की इबादत सीखा ना जाने वो मुझसे क्यों खफा हो गए जाते जाते मैं उन्हें मना नही सका और वो मुझे माफ़ कर ना सके मुंबई, 13 अगस्त 2007 Read more