उन दोनों की मुलाकात हुए कुछेक ही महीने हुए थे। लेकिन इन कुछेक महीनों में वे कुछ अधिक करीब आ गए थे। लड़की यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी तो लड़का वहां ग्रेड टू का कर्मचारी था। उसकी डच्यूटी यूनिवर्सिटी की लायब्रेरी में थी। जहां वह अक्सर किताबों के बहाने उसे देखने के लिए आती रहती थी। लायब्रेरी की रैक से किताबें निकलती थीं। पन्ने पलटे जाए जाते थे। लेकिन नजरे सामने बैठे उस ग्रेेड टू के कर्मचारी पर होती थी। वह कर्मचारी भी उसके आने के बाद कुछ अधिक ही सक्रिय हो जाता था। स्टूडेंट्स को लेकर चपरासी पर रौब झाड़ने का कोई मौका वह नहीं छोड़ता था। वे दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर रहे थे।
बसंत के बाद यूनिवर्सिटी में नया बैच आया। वह अब सीनियर्स बन गई थी। लेकिन वह लड़का अभी सेकेंड ग्रेड का ही कर्मचारी था। नए बैच में कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ कुछ पैसे वाले लड़के तो कुछ गांव से पहली बार निकले लड़के भी आए थे। बंसत के साथ अब सबकुछ बदल गया था। अब सेकेंड ग्रेड का कर्मचारी और उस लड़की में कुछ भी पहले जैसा नहीं था। स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। कल तक जिस लड़की को वह अपनी सेकेंड हैंड स्कूटर पर बैठाकर उसके घर तक छोड़ने जाता था, अब स्कूटर की जगह एक नई बाइक आ चुकी थी। और सेकेंड ग्रेड कर्मचारी की जगह एक खूबसूरत लड़का आ गया था।
स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। लड़की का चयन एक मीडिया कंपनी में हो चुका था। वह अब प्रोडच्यूसर थी। तरक्की लगातार उसके कदम चूमी जा रही थी। जबकि यूनिवर्सिटी का वह नौजवान अभी भी दिल्ली में नौकरी के लिए धक्का खा रहा था। दोनों में अब सबकुछ खत्म हो चुका था। एक रात उस लड़के ने फोन किया। काफी रिंग के बाद जब लड़की ने फोन उठाया तो स्थिति और बिगड़ गई थी।
लड़का - कैसी हो तुम?
लड़की- मैं अच्छी हूं और तुम?
लड़का- मैं भी ठीक हूं।
इसके बाद एक लंबी और गहरी खामोशी...
लड़की - कुछ बोलोगे?
लड़का -क्या बोलूं?
लड़की - कुछ भी।
लड़का - मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूं।
लड़की - हम क्या इस विषय को छोड़कर और किसी विषय पर बात नहीं कर सकते हैं?
लड़का - मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करता हूं।
लड़की - मैं फोन रख रही हूं।
ठक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्
और इसकी के साथ वह फोन रख देती है। दूसरी ओर लड़का काफी देर तक सोचने की कोशिश करता है लेकिन दिमाग साथ नहीं दे रहा था। वह पूरी तरह नशे में डूब चुका था।
लड़की कुछ अधिक समझदार थी। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय चैनल में तरक्की पर तरक्की पाए जा रही थी। मीडिया में चर्चा थी। वह आजकल मिस्टर झा की खास हैं। देखते देखते वह चाय की दुकान से लेकर मीडिया संस्थान तक में चर्चा का विषय बन गई थी। बात उसके कानों तक गई तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि यह सब क्या हो रहा है। लड़की के दिमाग की नसें फटी जा रही थी। वह पुराने दिनों में लौट जाती है। उसे याद है जब वह पहली बार उस संस्थान में नौकरी के लिए आई थी।
वहां अपने बायोडाटा को छोड़ने के बाद वह जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तो कालेज के वह प्रोफेसर उससे ठकरा गए,जो अक्सर पढ़ाने आया करते थे। दोनों की नजरें मिली। उसे कहा, गुड आफ्टर नून सर..वह पलट कर देखा। कुछ याद आया। हां वह तो उस यूनिवर्सिटी की सबसे चंचल लड़की की जहां वह पढ़ाने जाया करता था। क्लास के बाद अक्सर वह लड़की काफी देर तक उससे बातें किया करती थी।उसे नौकरी मिल चुकी थी। और देखते देखते यूनिवर्सिटी से लेकर दिल्ली और फिर अन्य कस्बेनुमा शहर में वह चर्चा का विषय बन चुकी थी। इस बात का अहसास उसे भी नहीं था। वह बस अति महत्वाकांक्षा थी।
एक शाम उसकी मुलाकात अपने पुराने प्रेमी से हुई। हां वही यूनिवर्सिटी वाला कथित प्रेमी। दोनों काफी देर तक काफी हाउस में बैठकर बतियाते रहे। शाम सुरमई होती जा रही थी। अचानक लड़के के मोबाइल पर एक एमएमएस आया। उसने जब एमएमएस देखा तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। एमएमएस में उसके साथ बैठी उसकी प्रेमिका थी और साथ में कौन था.. वह अच्छी तरह जानता था। वह मीडिया जगत का एक जाना पहचाना नाम था। खैर कहानी अभी खत्म नहीं हुई। वह लगातार रोया जा रहा था। अचानक लड़की के मोबाइल पर भी एक एमएमएस। अब वह बिलख बिलख कर रो रही थी। अगले दिन वे दोनों खुद ही खबर बन चुके थे। दोनों की लाश लक्ष्मी नगर के एक फ्लैट से मिली। दोनों ने नींद की गोलियां खा ली थी।
बसंत के बाद यूनिवर्सिटी में नया बैच आया। वह अब सीनियर्स बन गई थी। लेकिन वह लड़का अभी सेकेंड ग्रेड का ही कर्मचारी था। नए बैच में कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ कुछ पैसे वाले लड़के तो कुछ गांव से पहली बार निकले लड़के भी आए थे। बंसत के साथ अब सबकुछ बदल गया था। अब सेकेंड ग्रेड का कर्मचारी और उस लड़की में कुछ भी पहले जैसा नहीं था। स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। कल तक जिस लड़की को वह अपनी सेकेंड हैंड स्कूटर पर बैठाकर उसके घर तक छोड़ने जाता था, अब स्कूटर की जगह एक नई बाइक आ चुकी थी। और सेकेंड ग्रेड कर्मचारी की जगह एक खूबसूरत लड़का आ गया था।
स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। लड़की का चयन एक मीडिया कंपनी में हो चुका था। वह अब प्रोडच्यूसर थी। तरक्की लगातार उसके कदम चूमी जा रही थी। जबकि यूनिवर्सिटी का वह नौजवान अभी भी दिल्ली में नौकरी के लिए धक्का खा रहा था। दोनों में अब सबकुछ खत्म हो चुका था। एक रात उस लड़के ने फोन किया। काफी रिंग के बाद जब लड़की ने फोन उठाया तो स्थिति और बिगड़ गई थी।
लड़का - कैसी हो तुम?
लड़की- मैं अच्छी हूं और तुम?
लड़का- मैं भी ठीक हूं।
इसके बाद एक लंबी और गहरी खामोशी...
लड़की - कुछ बोलोगे?
लड़का -क्या बोलूं?
लड़की - कुछ भी।
लड़का - मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूं।
लड़की - हम क्या इस विषय को छोड़कर और किसी विषय पर बात नहीं कर सकते हैं?
लड़का - मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करता हूं।
लड़की - मैं फोन रख रही हूं।
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और इसकी के साथ वह फोन रख देती है। दूसरी ओर लड़का काफी देर तक सोचने की कोशिश करता है लेकिन दिमाग साथ नहीं दे रहा था। वह पूरी तरह नशे में डूब चुका था।
लड़की कुछ अधिक समझदार थी। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय चैनल में तरक्की पर तरक्की पाए जा रही थी। मीडिया में चर्चा थी। वह आजकल मिस्टर झा की खास हैं। देखते देखते वह चाय की दुकान से लेकर मीडिया संस्थान तक में चर्चा का विषय बन गई थी। बात उसके कानों तक गई तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि यह सब क्या हो रहा है। लड़की के दिमाग की नसें फटी जा रही थी। वह पुराने दिनों में लौट जाती है। उसे याद है जब वह पहली बार उस संस्थान में नौकरी के लिए आई थी।
वहां अपने बायोडाटा को छोड़ने के बाद वह जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तो कालेज के वह प्रोफेसर उससे ठकरा गए,जो अक्सर पढ़ाने आया करते थे। दोनों की नजरें मिली। उसे कहा, गुड आफ्टर नून सर..वह पलट कर देखा। कुछ याद आया। हां वह तो उस यूनिवर्सिटी की सबसे चंचल लड़की की जहां वह पढ़ाने जाया करता था। क्लास के बाद अक्सर वह लड़की काफी देर तक उससे बातें किया करती थी।उसे नौकरी मिल चुकी थी। और देखते देखते यूनिवर्सिटी से लेकर दिल्ली और फिर अन्य कस्बेनुमा शहर में वह चर्चा का विषय बन चुकी थी। इस बात का अहसास उसे भी नहीं था। वह बस अति महत्वाकांक्षा थी।
एक शाम उसकी मुलाकात अपने पुराने प्रेमी से हुई। हां वही यूनिवर्सिटी वाला कथित प्रेमी। दोनों काफी देर तक काफी हाउस में बैठकर बतियाते रहे। शाम सुरमई होती जा रही थी। अचानक लड़के के मोबाइल पर एक एमएमएस आया। उसने जब एमएमएस देखा तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। एमएमएस में उसके साथ बैठी उसकी प्रेमिका थी और साथ में कौन था.. वह अच्छी तरह जानता था। वह मीडिया जगत का एक जाना पहचाना नाम था। खैर कहानी अभी खत्म नहीं हुई। वह लगातार रोया जा रहा था। अचानक लड़की के मोबाइल पर भी एक एमएमएस। अब वह बिलख बिलख कर रो रही थी। अगले दिन वे दोनों खुद ही खबर बन चुके थे। दोनों की लाश लक्ष्मी नगर के एक फ्लैट से मिली। दोनों ने नींद की गोलियां खा ली थी।
Comments
जैसे ही पता चला कि दोनों ने नींद की गोलियां खाई है तो डॉ. अनुराग को फोन किया गया। उनके उपचार से दोनों की जान बच गई। इसी बहाने दोनों डॉ. सा’ब के अस्पताल में मिलते रहे....और फिर हैप्पी एन्डिंग:)
आप को याद होगा कि आह फिल्म में हीरो मर जाता है तो लोगों ने पसंद नहीं किया था तो अंत बदल कर उसे जीवित रखा गया और हिरोइन से मिला दिया गया था।
very well written,if it is a friction.
And very well present if it's a real story.
Conngr8s..
bahut sundar rachna hai, main aapki rachnadharmita ka kaayal hun...ise aur bhi aaye badhayein...
bahut sundar rachna hai, main aapki rachnadharmita ka kaayal hun...ise aur bhi aaye badhayein...