मेरी प्यारी मां,
मैं खुश हूं और भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप भी सुखी रहें। यह पत्र मैं इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैंने एक सनसनीखेज खबर सुनी है, जिसे सुनकर मैं सिर से पांव तक कांप उठी। स्नेहमयी मां आपको मेरा कन्या होने का पता लग गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने से पहले ही कोख में ही मार डालने की साजिश रची जा रही है। यह सुन मुझे यकीन ही नहीं हुआ भला मेरी प्यारी-प्यारी कोमल हृदया मां ऐसा कैसे कर सकती हे? कोख में पल रही अपनी लाडो के सुकुमार शरीर पर नश्तरों का चुभन एक मां कैसे सह सकती है?
पुण्यशीला मां! बस, आप एक बार कह दीजिए-यह जो कुछ मैंने सुना वह झूठ है। दरअसल, यह सब सुनकर मैं दहल सी गई हूं। मेरे तो हाथ ही इतने सुकोमल हैं कि डॉक्टर के क्लीनिक जाते वक्त आपका आंचल भी जोर से नहीं पकड़ सकती ताकि आपको रोक लूं। मेरी बांह भी इतनी मजबूत नहीं है कि आपके गले से लिपट सकूं।
मधुमयी मां! मुझे मारने के लिए आप जो दवा लेना चाहती हैं, वह मेरे नन्हें शरीर को बहुत कष्ट देगी। स्नेहयमी मां! मुझे बहुत दर्द होगा। आप तो देख भी नहीं पाएंगी कि वह दवाइ्र आपके पेट के अंदर मुझे कितनी मुझे कितनी बेरहमी से मार डालेगी। डाक्टर की हथौड़ी कितनी क्रूरता से
मेरी कोमल खोपड़ी के टुकड़े-टुकड़े कर डालेगी। उनकी कैंची मेरे नाजुक हाथ-पैर को काट डालेगी अगर आप यह दृश्य देखेगी तो ऐसा करने का सोच भी नहीं सकेंगी।
सुखदायिनी मां! मुझे बचाओ..कृपा करो दयामयी मां, मुझे बचाओ..। यह दवा मुझे आपके शरीर से इस तरह फिसला देगी, जैसे गीले हाथों से साबुन की टिकिया। भगवान के लिए ऐसा मत करना। मैं यह पत्र इसलिए लिख रही हूं क्योंकि अभी तो मेरी आवाज भी नहीं निकलती है। कहूं भी तो किससे और कैसे? मुझे जन्म लेने की बहुत ललक है मां! अभी तो आपके आंगन में मुझे नन्हें-नन्हें पैरों से झम-झम नाचना है।
आपकी ममता भरी गोद में खेलना है। चिंता मत करो मां, मैं आप पर बोझ नहीं बनूंगी। मत लाकर देना मुझे पायल..। मैं दीदी की छोटी पड़ चुकी पायल पहन लूंगी। भैया के छोटे पड़ चुके कपड़ों से तन ढक लूंगी। मां! बस एक बार मुझे इस कोख से निकल कर चांद-तारों से भरे आपके आसमान तले जीने का मौका तो दीजिए। मुझे भगवान की मंगलमय सृष्टि का विलास तो देखने दीजिए।
मेरे हाथों पर भी मेहंदी रचेगी, शगुनभरी डोली निकलेगी और आपके आंगन से चिडिया बनकर उड़ जाउंगी। मैं आपका प्यार चाहती हूं। मुझे मत मारिए, अपनी बगल की डाल पर फूल बनकर खिलने दीजिए। मां..। और, क्या कहूं मां..। आखिर तुम मेरी मां हो..
आपकी अजन्मी बेटी
मैं खुश हूं और भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप भी सुखी रहें। यह पत्र मैं इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैंने एक सनसनीखेज खबर सुनी है, जिसे सुनकर मैं सिर से पांव तक कांप उठी। स्नेहमयी मां आपको मेरा कन्या होने का पता लग गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने से पहले ही कोख में ही मार डालने की साजिश रची जा रही है। यह सुन मुझे यकीन ही नहीं हुआ भला मेरी प्यारी-प्यारी कोमल हृदया मां ऐसा कैसे कर सकती हे? कोख में पल रही अपनी लाडो के सुकुमार शरीर पर नश्तरों का चुभन एक मां कैसे सह सकती है?
पुण्यशीला मां! बस, आप एक बार कह दीजिए-यह जो कुछ मैंने सुना वह झूठ है। दरअसल, यह सब सुनकर मैं दहल सी गई हूं। मेरे तो हाथ ही इतने सुकोमल हैं कि डॉक्टर के क्लीनिक जाते वक्त आपका आंचल भी जोर से नहीं पकड़ सकती ताकि आपको रोक लूं। मेरी बांह भी इतनी मजबूत नहीं है कि आपके गले से लिपट सकूं।
मधुमयी मां! मुझे मारने के लिए आप जो दवा लेना चाहती हैं, वह मेरे नन्हें शरीर को बहुत कष्ट देगी। स्नेहयमी मां! मुझे बहुत दर्द होगा। आप तो देख भी नहीं पाएंगी कि वह दवाइ्र आपके पेट के अंदर मुझे कितनी मुझे कितनी बेरहमी से मार डालेगी। डाक्टर की हथौड़ी कितनी क्रूरता से
मेरी कोमल खोपड़ी के टुकड़े-टुकड़े कर डालेगी। उनकी कैंची मेरे नाजुक हाथ-पैर को काट डालेगी अगर आप यह दृश्य देखेगी तो ऐसा करने का सोच भी नहीं सकेंगी।
सुखदायिनी मां! मुझे बचाओ..कृपा करो दयामयी मां, मुझे बचाओ..। यह दवा मुझे आपके शरीर से इस तरह फिसला देगी, जैसे गीले हाथों से साबुन की टिकिया। भगवान के लिए ऐसा मत करना। मैं यह पत्र इसलिए लिख रही हूं क्योंकि अभी तो मेरी आवाज भी नहीं निकलती है। कहूं भी तो किससे और कैसे? मुझे जन्म लेने की बहुत ललक है मां! अभी तो आपके आंगन में मुझे नन्हें-नन्हें पैरों से झम-झम नाचना है।
आपकी ममता भरी गोद में खेलना है। चिंता मत करो मां, मैं आप पर बोझ नहीं बनूंगी। मत लाकर देना मुझे पायल..। मैं दीदी की छोटी पड़ चुकी पायल पहन लूंगी। भैया के छोटे पड़ चुके कपड़ों से तन ढक लूंगी। मां! बस एक बार मुझे इस कोख से निकल कर चांद-तारों से भरे आपके आसमान तले जीने का मौका तो दीजिए। मुझे भगवान की मंगलमय सृष्टि का विलास तो देखने दीजिए।
मेरे हाथों पर भी मेहंदी रचेगी, शगुनभरी डोली निकलेगी और आपके आंगन से चिडिया बनकर उड़ जाउंगी। मैं आपका प्यार चाहती हूं। मुझे मत मारिए, अपनी बगल की डाल पर फूल बनकर खिलने दीजिए। मां..। और, क्या कहूं मां..। आखिर तुम मेरी मां हो..
आपकी अजन्मी बेटी
Comments
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
घुघूती बासूती
निवेदन है की ये चिठ्ठी सिर्फ सॉफ्ट कॉपी मैं ही नहीं हार्ड कॉपी में भी प्रकाशित हो...
निवेदन है की ये चिठ्ठी सिर्फ सॉफ्ट कॉपी मैं ही नहीं हार्ड कॉपी में भी प्रकाशित हो...
रचना किसी और का वाह - वाही आप ले रहे हो अच्छा लग रहा है आपको ?
रचना किसी और का वाह - वाही आप ले रहे हो अच्छा लग रहा है आपको ?
वैसे ये पत्र माँ के साथ साथ पिता के नाम भी होता तो मेरे ख्याल से ज्यादा कारगर होता | और अगर सिर्फ पिता के नाम होता तब भी | क्यूँ की शायद आप भी जानते होंगे की हमारी समाजिक संरचना क्या है और इस तरह के फैसले में किसकी चलती है |
http://www.aajkikhabar.com/blog/234923812352237.html
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