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Showing posts from January, 2009

बिल्लू भिया को,मुंगेर सरपंच का सलाम कबूल हो

अभी ऑफिस पहुंच कर जैसे ही कम्प्यूटर ऑन किया तो शांतनु का ई मेल आया हुआ था। खोल कर पढ़ने लगा तो तनाव के माहौल में भी मुस्कुराना पड़ा। क्यों? इसके लिए तो आपको नीचे मूंगेर का वह पत्र पढ़ना पढ़ेगा जो बिल गेट्स साहेब को लिखा गया है। पढ़िए और बताएं कि आपको हंसी आई या नहीं? जय हो॥ बिल गेट्स को शिकायती पत्र (Complaint to Bill Gates) आदरणीय बिल्लू भिया को, इंडिया से मुंगेर सरपंच का सलाम कबूल हो... आपके देश के एक और बिल्लू भिया (बतावत रहें कि प्रेसीडेंटवा रहे) ऊ भी इस पंचायत को एक ठो कम्प्यूटर दे गये हैं । अब हमरे गाँव में थोडा-बहुत हमही पढे-लिखे हैं तो कम्प्यूटर को हम घर पर ही रख लिये हैं । ई चिट्ठी हम आपको इसलिये लिख रहे हैं कि उसमें बहुत सी खराबी हैं (लगता है खराब सा कम्प्यूटर हमें पकडा़ई दिये हैं), ढेर सारी "प्राबलम" में से कुछ नीचे लिख रहे हैं, उसका उपाय बताईये - - जब भी हम इंटरनेट चालू करने के लिये पासवर्ड डालते हैं तो हमेशा ******** यही लिखा आता है, जबकि हमारा पासवर्ड तो "चमेली" है... बहुत अच्छी लडकी है...। - जब हम shut down का बटन दबाते हैं, तो कोई बटन काम नही करता

ये बातें झूठी बातें हैं

उसे देर रात सिगरेट की तलब ने बैचेन कर दिया था। घड़ी रात के दो बजा रही थी। उसे पता था कि ऑफिस के पास के मॉल के पास में जो गुमटी हैं, वहां सिगरेट मिल सकती है। बस दुकानदार को जगाना पड़ेगा जो कि काफी बुगरुज हैं। लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था। जैकेट और मोबाइल लेकर जैसे ही बाहर निकला तो खाली सड़कें डरावनी लग रही थीं लेकिन उसे पता है कि कभी इन्हीं सड़कों पर वह भी धूमा करती थी। अरे यह क्या? उसने तय किया था कि वह कभी भी उसे याद नहीं करेगा। लेकिन अचानक उसे एक बिसरी हुई याद आती है। देखते देखते ये यादंे वीरान सड़कों पर उतर आती हैं। वह उसे देख सकता था। उसके होंठों के तिल को भी। जबकि चारों ओर स्याह अंधेरा था। लेकिन फिर भी वह उसे देख सकता था। वह उसे पुकारना चाहता है लेकिन आवाज नहीं निकलती है। अचानक हवा के झोंके के साथ वह वापस लौट आता है। सामने ही गुमटी थी जहां से उसे सिगरेट लेना था। शुक्र है उसे सिगरेट मिल भी गई। सिगरेट लेने के बाद वह उसे मुंह में लगाकर जलाता है। और फिर वह तीन साल पहले उसी शहर में लौट आता है जहां से उसने पढ़ाई की थी। वह उसे आज भी बहुत याद करता है। याद ही नहीं बल्कि चाहता भी बहुत