मैं फिर से जीने लगा हूँ क्यूंकि फिर से कविता लिखने लगा हूं.. मैं उसे गुनगुनाता हूं अकेले पड़ने पर जोर जोर से अपनी ही लिखी एक एक लाइनों को चिलाता हूं.. मैं फिर से कविता लिखने लगा हूं.. मेरी कविताओं में केवल और केवल तुम हो लेकिन तुम कौन! हाँ याद आया तुम मतलब मैं क्यूंकि मुझसे ही तुम हो और तुमसे मैं तुम मुझसे दूर जा सकती हो लेकिन खुद से कैसे? क्यूंकि तुम्हारे एक एक अहसास में मैं ही मैं हूं