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Showing posts from August, 2007

कामरेड तुझे लाल सलाम

यदि आप चे ग्वेएरा को जानते हैं तो यह फिल्म वाकई आपके लिये उपयोगी साबित होगी। मेरे जैसे नौजवानों के लिए चे ग्वेएरा शुरू से ही एक प्रेरणा रहे हैं। चाहे वो कालेज के शुरुआती दिन हो या अब के दिन। गूगल पर चे ग्वेएरा के बारे मे खोजते खोजते यह फिल्म हाथ लग गई। शायद यह आपके भी काम आये।

ब्लॉग्स और ब्लॉगर्स के लिए एक अहम सूचना

देश में दिनोंदिन ब्लॉग की बढ़ती तादाद को देखते हुए वेबदुनिया ने एक नया प्रयोग शुरू किया हैं। इसके तहत हर शुक्रवार को ब्लॉग-चर्चा के तहत देशभर के ब्लॉग्स और ब्लॉगर्स की जानकारी दी जाएगी। वेब दुनिया ने इसके लिए शुक्रवार का दिन चुना हैं। इस बार वेबदुनिया ने चर्चा का विषय चुना है- यूनुस खान का ब्लॉग ‘रेडियोवाणी’। अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें http://hindi.webdunia.com/samayik/article/article/0708/30/1070830081_1.htm

क्या आप मेरा गुनाह जानना चाहेंगे

क्या आप मेरा गुनाह जानना चाहेंगे क्या कहा नहीं लेकिन क्यों नहीं आपको यह पता होना चाहिए मेरा गुनाह क्या हैं चलिए अब मैं ही बता देता हूँ इस समाज में मोहब्बत और शांति की बात करना गलत हैं यहाँ आप इन्सान बाद में हैं पहले हिंदु या मुस्लिम हैं यदि ये भी नहीं हैं तो जरुर आदमी या महिला होंगे लेकिन इन्सान नहीं मैंने यह ही गलती कर डाली और अपने को इन्सान मान लिया कुछ ने मुझे पागल कहा तो किसी ने महिलों का पक्ष लेने वाला किसी ने वामपंथी कहा तो किसी ने बेवकूफ लेकिन मुझे मंजूर है ये सज़ा आख़िर मैंने जुर्म किया हैं सज़ा तो मिलनी चाहिए

मीडिया मे नौकरी की तलाश और इन्दौर का एक समाचार पत्र

इन्दौर वासियों को जल्दी ही एक और सुबह का समाचार पत्र मिलने वाला हैं। यह समाचार पत्र राज्य के मुख्य पत्र देनिक भास्कर लॉन्च करने वाला हैं। इस समाचार पत्र का नाम होगा दिव्य किरण। ख़बर मेरे एक खास दोस्त ने दी हैं, इसलिये इसपर भरोसा किया जा सकता हैं। यह खबर उनके लिए भी काम की हैं जो के पत्रकारिता के शिक्षा लेकर बाहर आ चुके हैं या फिर जिन्हे उनकी कंपनी ने बाहर निकाल दिया हैं। दोनो ही तरह के लोगों कि कमी नही हैं। इस मामले में मैं थोडा लकी हूँ कि मुझे अभी तक बहार नही निकला गया हैं। इस लिए मुझे इन्दौर नही जान होगा लेकिन जिन्हें निकाल दिया हैं वो जरूर भास्कर के दर पर जा सकते हैं।

सल्लू मियां और जोधपुर के वाशिंदे

जोधपुर के बाशिंदो के लिए एक बुरी खबर हैं। खबर यह हैं कि जो जोधपुर वासी सल्लू मियां का दर्शन करना चाहते हैं उन्हें दर्शन हो नही पायेगा.जोधपुर की अदालत ने पुलिस को निदेश दिया हैं कि २४ अगस्त को जब सलमान खान अदालत मे आयें तो वहां मीडिया वालों की ओबी वेंन और कैमरा नही होना चाहिऐ। अदालत का कहना हैं के इससे अनावश्यक भीड़ लग जाती हैं। अब अदालत के इस आदेश के बाद जोधपुर के लोग थोड़े ग़ुस्से मे हैं। तो किसी भी जोधपुर वाले से सल्लू मियां कि बात करने से पहले कम से कम दो बार सोच लेना भाई जी।

हवाई जहाज़ को लुत्फ उठासी म्हारे देश का डोकरा

जयपुर दिल्ली राजमार्ग एक पास एक छोटे से गाँव की बात हैं यह। पूरी सच्ची और भरोसे लायक। गाँव मे एक स्कूल हैं जो की अपने आप मे अनोखी हैं। इस पाठशाला मे ना रजिस्टर हैं और ना आने जाने कि कोई पाबंदी। इस गाँव का नाम हैं जयसिन्ह्पुरा। इस पाठशाला में ६५ से ८० साल के बीच के दादा दादी पढ़ने आते हैं। यह तो हुई एक बात। लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही खबर आई हैं कि इस गाँव के १५ लोग हवाई जहाज़ का लुत्फ उठाएंगे। आप सोच रहे होंगे कि इस मे खास क्या हैं। तो भाई खास यह हैं कि इसमे से कई लोग कभी भी ट्रेन में पांव नही रखा हैं। लेकिन अब वो लोग हवाई जहाज़ का मज़ा लेंगे। हैं ना खबर मे दम।

धर्मनिरपेक्ष ताकतें तसलीमा के साथ हैं भाई साहब !

कुछ दिनों पहले जब तसलीमा पर हैदराबाद में मुस्लिम संगठन MIM के विधायकों ने तसलीमा के ऊपर हमला कर दिया तो कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि देश की धर्मनिरपेक्ष ताकतें तसलीमा के बचाव में भी खुलकर नहीं आ रही हैं। अब इन लोगों को कौन बताये कि बोम्बे से लेकर देल्ही में लोगों ने तसलीमा पर हमले का विरोध किया हैं। इसमे मानवाधिकार संगटन से लेकर आमजन तक शामिल हैं। लेकिन दुर्भाग्य हैं कि उन्हें मीडिया मे उतनी जगह नही मिली जितनी मिलनी चाहिऐ। लोगों को कहना कि अगर एमएफ हुसैन की भारत माता या किसी देवी-देवता को गलत तरीके डिखाने वाली पेंटिंग पर किसी हिंदू संगठन ने कुछ कहा होता तो, अब तक देश की सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें मिलकर हुसैन की तरफदारी में अभिव्यक्ति की आजादी के कसीदे पढ़ने लगतीं। लेकिन धर्मनिरपेक्ष जमात पर आरोप लगाने वाले कृपया अपनी जानकारी को और पुख्ता कर ले। शायद इन्हें नही मालूम हैं कि धर्मनिरपेक्ष लोग मुस्लिम कट्टरवाद का उतना भी उतना ही विरोध करते हैं जितना ही हिंदु कट्टरवाद का। लेकिन मीडिया मे केवल हिंदु कट्टरवाद का ही विरोध दिखाया जाता हैं। तो भाई साहब किसी पर अंगुली उठाने से पहले खुद अपने आ

संजू दादा को मिली जमानत

फिल्म अभिनेता संजय दत्त की जमानत आज मिल गई गई हैं। इससे पहले 10 अगस्त को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख 20 अगस्त तक के लिए टाल दी गई थी। इस बार संजय के पक्ष में यह बात भी है कि सीबीआई ने उनपर टाडा लगाने की याचिका दायर न करने का फैसला किया है जिसके चलते संजय दत्त को जमानत मिल गई है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 28 अगस्त तक टाल दी थी लेकिन संजय के वकील फली एस नरीमन ने तर्क दिया था कि उनके पक्षकार के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्हें फैसले की प्रति दिए बिना ही जेल भेज दिया गया है और जमानत याचिका पर सुनवाई में भी देर हो रही है। इस पर सुनवाई की ‍तिथि को 20 अगस्त तय कर दिया गया। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने प्रधान न्यायाधीश के। जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष यह मामला प्रस्तुत किया था जिसने संजय की जमानत याचिका पर 10 अगस्त को सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। नरीमन ने कहा था कि अभिनेता को फैसले की प्रति दिए बिना ही जेल भेज दिया गया। संजय को 1993 के श्रंखलाबद्ध बम विस्फोट कांड के संबंध में हथियार अधिनियम के तहत दोषी पाया गया है और छह साल की कैद की

जूनून थोडा कम हुआ हैं लेकिन ख़त्म नही

कालेज अब पुराना हो गया हैं लेकिन फिर भी उसकी याद पुरानी नहीं हुई हैं। जेसे कल ही कि तो बात हैं जब मैं कालेज मे था। वो भोपाल का हमारा छोटा लेकिन प्यारा केम्पस और आसपास का अपना सा माहौल। लेकिन अब इन बातों को करीब सवा साल होने को आये हैं। भोपाल के सात नंबर बस स्टाप पर हमारा कालेज हुआ करता था। क्या याद करूं और क्या भूलूं कुछ भी समझ मे नही आ रहा हैं। कालेज के दिनों मे एक जूनून था लेकिन जब मीडिया के फिल्ड मे अन्दर धुसे तो जूनून थोडा कम हो गया हैं लेकिन अभी ख़त्म नही हुआ हैं। सोचा था कुछ करके दिखाएँगे लेकिन अब लगता कि नौकरी कर रहे हैं सिर्फ। बार बार दिमाग मे एक ही सवाल आता हैं कि क्या पत्रकारिता संभव नही रही आज के बाजारवाद के दौर मे। जिसे देखो वहीँ अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाह रहा हैं। ऐसे मे पत्रकारिता कहॉ गुम हो गई।

दिबांग और आजतक

खबर हैं कि दिबांग (यदि आप दिबांग को नहीं जानते हैं तो यह खबर आपके लिए नही हैं) इन दिनों लंबी छुट्टी पर हैं और जल्दी ही सबसे तेज चैनल आजतक मे कदम रखने वाले हैं। खबर कितनी सच हैं अभी यह कहना सही नहीं होगा लेकिन देल्ही और बोम्बे के मीडिया जगत मे यह चर्चा आम है। कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि दिबांग को एनडीटीवी से हटा दिया गया हैं। जिसके बाद वोह लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। लेकिन इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता हैं कि उन्होने आजतक का साथ पकड़ लिया हो।

खलनायक हैं ठाकरे; मोदी और संजय गाँधी

शिवसेना ने एक बार फिर से साबित कर दी कि यदि किसी ने भी सच बोलने का प्रयास किया तो उसे हिंसक तरीके से कुचल दिया जाएगा। परसों भी बोम्बे मे यही देखने को मिला जब शिवसेना ने हिंदी पत्रिका आउटलुक के ऑफिस मे धुस कर जमकर हंगामा मचाया। शिवसेना का कहना कि आउटलुक ने बाला साहेब को ६० सालो का खलनायक कहा है। ठाकरे के अलावा इस लिस्ट में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और संजय गाँधी जेसे नेताओं का भी नाम हैं। क्या आउटलुक ने गलत कहा। आउटलुक ने वही कहा जो कि हैं। ठाकरे ने आमची मुम्बई के नाम पर कितनी राजनीती की हैं यह सब जानते हैं। मुम्बई मे आज भी शिवसेना का तांडव जारी हैं। जिसका खामियाज़ा उत्तर परदेश और बिहार के लोगों को उठाना पड़ता हैं।

मेरे लिए पत्रकारिता की पाठशाला हैं पी साईनाथ

देश के जाने माने पत्रकार पी साईनाथ को मैग्‍ससे पुरस्‍कार मिलना यह स‍ाबित करता है कि देश में आज भी अच्‍छे पत्रकारों की जरुरत है। वरना वैश्विककरण और बाजारु पत्रकारिता में अच्‍छी आवाज की कमी काफी खलती है। लेकिन साईनाथ जी को पुरस्‍कार मिलना एक सार्थक कदम है। देश में कई सालों बाद किसी पत्रकार को यह पुरस्‍कार मिला है। साईनाथ जी से मेरे पहली मुलाकात उस वक्‍त हुई थी जब मैं जयपुर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के अलावा मैं वहां के कई जनआंदोलन से भी जुड़ा था। पी साईनाथ्‍ा जी भी उसी दौरान जयपुर आए हुए थे। कई दिनों तक हम लोग साथ थे। उस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला था उनसे। मुझे याद है कि मै और मेरे एक दोस्‍त ने साईनाथ जी को राजधानी के युवा पत्रकारों से मिलाने के लिए प्रेस क्‍लब में एक बैठक करना चाह रहे थे। लेकिन इसे जयपुर का दुभाग्‍य ही कहेंगे कि वहां के पत्रकारों की आपसी राजनीति के कारण हमें प्रेस क्‍लब नहीं मिला। लेकिन हम सबने बैठक की। प्रेस क्‍लब के पास ही एक सेंट्रल पार्क है जहां हम लोग काफी देर तक देश विदेश के मुददों से लेकर पत्रकारिता के भविष्‍य तक पर बतियाते रहे। उस समय साईनाथ किसी स

Teej- Jaipur's most beautiful festival

Today I would like to share with you about Jaipur's most beautiful festival. Yes, I am talking about Teej. When I was studying and working simultaneously with a daily newspaper in Jaipur, I got the opportunity to participate in this colourfull festival. I was covering this festival for my readers. I remember how I saw a number of decorated elephants, horses and camels that were a part of this beautiful festival. Teej is one of the most widely celebrated festivals of the Pink city. Swings, traditional songs and dancing are the unique features of Teej celebrations in Jaipur. Women perform traditional folk dance dressed in green colored clothes and sing beautiful Teej songs while enjoying their sway on swings bedecked with flowers. Teej is celebrated with immense fanfare in the capital city of Rajasthan, jaipur. On this day, women and young girls wear their best clothes and adorn themselves with fine jewelry. They gather at a nearby temple or a common place and offers prayers to G