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Showing posts from April, 2009

एक अजन्मी बेटी का मां के नाम पत्र

मेरी प्यारी मां, मैं खुश हूं और भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप भी सुखी रहें। यह पत्र मैं इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैंने एक सनसनीखेज खबर सुनी है, जिसे सुनकर मैं सिर से पांव तक कांप उठी। स्नेहमयी मां आपको मेरा कन्या होने का पता लग गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने से पहले ही कोख में ही मार डालने की साजिश रची जा रही है। यह सुन मुझे यकीन ही नहीं हुआ भला मेरी प्यारी-प्यारी कोमल हृदया मां ऐसा कैसे कर सकती हे? कोख में पल रही अपनी लाडो के सुकुमार शरीर पर नश्तरों का चुभन एक मां कैसे सह सकती है? पुण्यशीला मां! बस, आप एक बार कह दीजिए-यह जो कुछ मैंने सुना वह झूठ है। दरअसल, यह सब सुनकर मैं दहल सी गई हूं। मेरे तो हाथ ही इतने सुकोमल हैं कि डॉक्टर के क्लीनिक जाते वक्त आपका आंचल भी जोर से नहीं पकड़ सकती ताकि आपको रोक लूं। मेरी बांह भी इतनी मजबूत नहीं है कि आपके गले से लिपट सकूं। मधुमयी मां! मुझे मारने के लिए आप जो दवा लेना चाहती हैं, वह मेरे नन्हें शरीर को बहुत कष्ट देगी। स्नेहयमी मां! मुझे बहुत दर्द होगा। आप तो देख भी नहीं पाएंगी कि वह दवाइ्र आपके पेट के अंदर मुझे कितनी मुझे कितनी बेरहमी से मार डाल