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Showing posts from September, 2012

हक

तुम लड़ोगे तो मारे जाओगे क्‍योंकि व्‍यवस्‍था को पसंद नहीं  ऊंची आवाज, बराबरी, लोकतंत्र लेकिन बिना लड़े जीना भी क्‍या कोई जीना है आओ साथियों लड़ा जाए हक के लिए, हवा के लिए, आजादी के लिए हक खैरात में नहीं, लड़ने से मिलते हैं भूख झूठे आश्‍वासन से नहीं रोटी से मिटती है तो अब कब तक झूठे आश्‍वासन, गैरबरारी सहेंगे उठो, लड़ो, मरो लेकिन झुको मत क्‍यों हक मांगना हमारा अधिकार है लड़ेंगे, जीतेंगे