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प्रद्युम्न तुम्हारे कत्ल के लिए हम भी जिम्मेदार हैं

प्रिय प्रद्युम्न,  तुम जहां भी हो, अपना ख्याल रखना। क्योंकि अब तुम्हारा ख्याल रखने के लिए तुम्हारे मां और पिता तुम्हारे साथ नहीं हैं। हमें भी माफ कर देना। सात साल की उम्र में तुम्हें इस दुनिया से जाना पड़ा। हम तुम्हारी जान नहीं बचा पाए। तुम्हारी मौत के लिए रेयान इंटरनेशनल स्कूल का बस कंडक्टर ही नहीं, बल्कि हम सब भी जिम्मेदार हैं। आखिर हमने कैसे समाज का निर्माण किया है, जहां एक आदमी अपनी हवस को बुझाने के लिए  स्कूल का यूज कर रहा था। लेकिन गलत वक्त पर तुमने उसे देख लिया। अपने गुनाह को छुपाने के लिए इस कंडक्टर ने चाकू से तुम्हारा गला रेत कर कत्ल कर देता है। हम क्यों सिर्फ ड्राइवर को ही जिम्मेदार मानें? क्या स्कूल के मैनेजमेंट को इसलिए छोड़ दिया जा सकता है? हां, उन्हें कुछ नहीं होगा। क्योंकि उनकी पहुंच सत्ताधारी पार्टी तक है। प्रिय प्रद्युम्न, हमें माफ कर देना। हम तुम्हें कभी इंसाफ नहीं दिलवा पाएंगे। क्योंकि तुम्हारे रेयान इंटरनेशनल स्कूल की मालिकन सत्ता की काफी करीबी हैं। मैडम ने पिछले चुनाव में अपने देशभर के स्कूलों में एक खास पार्टी के लिए मेंबरशिप का अभियान चलाया था। जिसमें स्क
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#DigitalGyan : Sarahah के बारे में जानिए सबकुछ

'सराहा' दुनियाभर में तहलका मचाने के बाद अब हिंदुस्तान में छा गया है। जिसे देखिए, वो इसका दीवाना बन चुका है। सऊदी अरब में बनाए गए एप सराहा को दुनियाभर में यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं । करीब एक महीने पहले लॉन्च हुए इस एप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। खास बात यह है कि एप बनाने वाली इस स्टार्टअप को सिर्फ तीन लोग चलाते हैं। इनमें 29 साल के जेन अल-अबीदीन तौफीक और उनके दो दोस्त शामिल हैं।  इस एप के जरिये यूजर अपनी प्रोफाइल से जुड़े किसी भी व्यक्ति क ो मैसेज भेज सकते हैं। लेकिन सबसे मजेदार यह है कि मैसेज पाने वाले को यह पता नहीं चलेगा कि ये मैसेज किसके पास से आया है। जाहिर है, इसका जवाब भी नहीं दिया जा सकता। और यही कारण है कि ये ऐप लोगों के बीच बहुत तेज़ी से लोकप्रिय होता जा रहा है। सराहा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब ‘ईमानदारी’ होता है। तौफिक ने बताया ‘एप बनाने का मकसद यह है कि इसके जरिये कोई कर्मचारी, बॉस या वरिष्ठ को बिना झिझक अपनी राय दे सके। यूजर किसी व्यक्ति से वो सब कह सकें जो उनके सामने आकर नहीं कह सकते। ऐसा हो सकता है कि वे जो कह रहे हैं उसे सुनना उन्हें अच्छ

बाघों की मौत के लिए फिर मोदी होंगे जिम्मेदार?

आशीष महर्षि  सतपुड़ा से लेकर रणथंभौर के जंगलों से बुरी खबर आ रही है। आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। इतिहास में पहली बार मानसून में भी बाघों के घरों में इंसान टूरिस्ट के रुप में दखल देंगे। ये सब सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए सरकारें कर रही हैं। मप्र से लेकर राजस्थान तक की भाजपा सरकार जंगलों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहती है। इन्हें न तो जंगलों की चिंता है और न ही बाघ की। खबर है कि रणथंभौर के नेशनल पार्क को अब साल भर के लिए खोल दिया जाएगा। इसी तरह सतपुड़ा के जंगलों में स्थित मड़ई में मानसून में भी बफर जोन में टूरिस्ट जा सकेंगे।  जब राजस्थान के ही सरिस्का से बाघों के पूरी तरह गायब होने की खबर आई थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरिस्का पहुंच गए थे। लेकिन क्या आपको याद है कि देश के वजीरेआजम मोदी या राजस्थान की मुखिया वसुंधरा या फिर मप्र के सीएम शिवराज ने कभी भी बाघों के लिए दो शब्द भी बोला हो? लेकिन उनकी सरकारें लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले करती जा रही हैं, जिससे बाघों के अस्तिव के सामने खतरा मंडरा रहा है। चूंकि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में उस्ताद होत

चारों ओर कब्र, बीच में दुनिया का इकलौता शिव मंदिर

Ashish Maharishi वाराणसी। दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शुमार बनारस के बारे में मान्यता है कि यहां मरने वालों को महादेव तारक मंत्र देते हैं , जिससे मोक्ष लेने वाला कभी भी दोबारा गर्भ में नहीं पहुंचता। इसी बनारस में एक ऐसा मंदिर भी है जो कब्रिस्तान के बीचोंबीच है। ओंकारेश्वर महादेव मंदिर भले ही हजारों साल पुराना हो , लेकिन बनारस के स्थानीय लोगों को भी इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। मंदिर के पुजारी शिवदत्त पांडेया के अनुसार , " काशी खंड में ओंकारेश्वर महादेव का जिक्र है। ये मंदिर करीब पांच हजार साल पुराना है। यहां दर्शन से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है , तीर्थ माना गया है लेकिन आज कभी कोई भूला-बिसरा यहां दर्शन करने आ जाता है। वरना ये मंदिर हमेशा सुनसान ही रहता है।" स्कंद पुराण में ओंकारेश्वर महादेव का जिक्र है। इस पुराण के अनुसार , काशी में जब ब्रह्मा जी ने हजारों साल तक भगवान शिव की तपस्या की , तो शिव ने ओंकार रूप में प्रकट होकर वर दिया और इसी महालिंग में लीन हो गए। ग्रंथों के मुताबिक , एक विशेष दिन सभी तीर्थ ओंकारेश्वर दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन इ

UP POLL @ 2017 : यूपी में #BJP की हार में ही है #RSS की जीत

आज फिर से बात उत्तर प्रदेश की। यूपी की बात इस वक्त होगी तो चुनाव का जिक्र भी होगा। जिक्र संघ और भाजपा के साथ नरेंद्र मोदी का भी होगा। चलिए फिर आज हम इन्हीं के बारे में जिक्र करते हैं। भाजपा का यूपी में हारना देश के सबसे बड़े संगठन संघ के लिए रामबाण जैसा होगा। ये हार जहां संघ को फिर से जिंदा करने में मदद करेगी, वहीं प्रचंड बहुमत से सत्ता में आए मोदी एंड टीम पर थोड़ा अंकुश भी लगाएगी। क्योंकि ये पहली दफा है जब केंद्र में तो भाजपा की मजबूत सरकार है लेकिन संघ और उसका एजेंडा कहीं दूर तलक तक नहीं दिखता। संघ की पहचान हमेशा से ऐसे संगठन की रही है जो खुद को सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त बताता है और ऐसे मुल्क का ख्वाब देखता है जहां केवल हिंदुओं के लिए स्थान होगा। यानी ऐसे मुल्क में मुसलमानों और उनसे जुड़ी किसी भी चीज के लिए कोई जगह नहीं होगा। लेकिन ये दुर्भाग्य है संघ का कि केंद्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा के उसके प्रधानमंत्री एजेंडे से विचलित हो जाते हैं। बात राम मंदिर की हो, गो हत्या की हो या फिर सिविल यूनिफॉर्म कोड की हो। हर बार भाजपा की सरकार ने संघ से केवल वादे किए, लेकिन निभाए कभी नहीं। जब

UP POLL 2017 : 'दादा' आप जैसों की अब भाजपा में कोई जरूरत नहीं...

राजनीति में बहुत कम ऐसे नेता हैं, जिनका सम्मान करने का मन करता है। खासतौर से भाजपा की बात की जाए तो सम्मानित नेताओं की संख्या ना के बराबर ही होती है। पर भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी में भी श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' जैसे नेता हैं, जो अपने काम के बल पर बनारस की जनता के दिलों पर राज करते हैं। लेकिन श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' का टिकट काटकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि अब पार्टी में अच्छे नेताओं की कोई आवश्यकता नहीं है। इसी के साथ भाजपा ने बनारस में अपनी हार भी तय कर ली है।  वाराणसी के सबसे सक्रिय और अपराजेय भाजपा नेता श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' पिछले सात बार से लगातार वाराणसी दक्षिण से चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। लेकिन संघ और संगठन ने उनके समर्पण और ईमानदारी की अनदेखी करते हुए नीलकंठ तिवारी को टिकट दे दिया, जिन्हें क्षेत्र की जनता जानती तक नहीं है। श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' बातचीत में कहते हैं कि यदि पार्टी टिकट काटने से पहले मुझे बता देती तो मैं किसी बीमारी का बहाना बनाकर खुद पीछे हट जाता। पार्टी को कम से कम मेरी कमियां तो बता ही देनी चाहिए थी। 

UP POLL 2017 : काम बोलता है...

यूपी से लौटकर आशीष महर्षि यदि आप यूपी से बाहर बैठकर यहां के चुनाव को लेकर कोई अंदाजा लगा रहे हैं, तो हो सकता है कि आपका अंदाजा गलत हो। यूपी पहुंचने से पहले तक अगर मैं अपनी बात करूं तो मुझे ऐसा लग रहा था कि यूपी में इस दफा भाजपा सरकार आ सकती है। लेकिन लखनऊ पहुंचते-पहुंचते मेरी सोच करवट लेने लगी। जमीनी हकीकत मेरी सोच से एकदम उलट रही। लखनऊ, गोरखपुर, बनारस, इलाहाबाद जैसे प्रमुख शहरों में घूमने के बाद यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि यूपी में या तो पूर्ण बहुमत वाली सरकार यानी सपा आएगी या फिर मामला फंस सकता है। कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से सपा को जितना फायदा हुआ है, उससे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ है। यूपी के मैदानों से पूरी तरह साफ यदि कांग्रेस पिछली बार की तरह 25 सीट भी ले आए तो उसकी इज्जत बच जाएगी। हालांकि, उम्मीद है कि सपा के साथ हाथ मिलाने से उसकी सीट 25 से बढ़कर 35 हो सकती है। कांग्रेस और सपा के कार्यकर्ताओं का अब एक ही लक्ष्य है कि किसी भी कीमत पर अखिलेश यादव को फिर से सत्ता की कमान सौंपी जाए। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो पता चलता है कि सपा और कांग्रे