हर रोज की तरह मुझे आज भी पकड़नी थी बेस्ट की बस।
हर रोज की तरह मैंने किया आज भी तुम्हारा इंतजार
अंधेरी के उसी बस स्टॉप पर
जहां कभी हम साथ मिला करते थे
अक्सर बसों को मैं बस इसलिए छोड़ देता था
ताकि तुम्हारा साथ पा सकूं
ऑफिस के रास्ते में
कई बार हम साथ साथ गए थे ऑफिस
लेकिन अब वो बाते हो गई हैं यादें
आज भी मैं बेस्ट की बस में तुम्हारा इंतजार करता हूं
और मुंबई की खाक छानता हूं
अंतर बस इतना है अब बस में तन्हा हूं
फिर भी तुम्हारा इंतजार करता हूं
हर रोज की तरह मैंने किया आज भी तुम्हारा इंतजार
अंधेरी के उसी बस स्टॉप पर
जहां कभी हम साथ मिला करते थे
अक्सर बसों को मैं बस इसलिए छोड़ देता था
ताकि तुम्हारा साथ पा सकूं
ऑफिस के रास्ते में
कई बार हम साथ साथ गए थे ऑफिस
लेकिन अब वो बाते हो गई हैं यादें
आज भी मैं बेस्ट की बस में तुम्हारा इंतजार करता हूं
और मुंबई की खाक छानता हूं
अंतर बस इतना है अब बस में तन्हा हूं
फिर भी तुम्हारा इंतजार करता हूं
Comments
imagine ya true?
if true...i wish aapka intezar jaldi khatam ho...or vo aapke sath hon...i think aap isi liye Bhopal jarahe hain...
यह तो बड़ी दार्शनिक बात गई शायद..
कभी कविता कभी कहानी
ईश्वर तुम्हें हर मंजिल दिलाए