कई महीनों पहले एक अंग्रेजी के अखबार में पढ़ा था कि न्यूयार्क और लंदन के बाद मुंबई ही एक मात्र ऐसा शहर है जो आपको जीरो से हीरो बना सकता है। बस कूबत आपमें होनी चाहिए। ऐसा मुझे भी लगता है। आज ही लग रहा है, ऐसा नहीं है। मुंबई में जब पहली बार कदम रखा था तो यहां की आसमान छूती इमारतों को देख कर मन में एक अजीब सा भाव उठ रहा था। दिल्ली की तुलना में यह शहर कुछ अधिक बेहतर है। यहां दिखावा उतना नहीं है, जितना की दिल्ली में देखने को मिलता है। दिल्ली में जब आप प्रवेश करते हैं तो चारों ओर खुलापन दिख है। मुंबई में ऐसा नहीं है। जब आप यहां के वीटी या दादर जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशन में प्रवेश करते हैं तो चारों ओर जनसैलाब के साथ बड़ी बड़ी इमारतें आपका स्वागत करती हैं। सब भागे जा रहे हैं। वक्त की कमी है।
एक के बाद एक लोकल ट्रेन अपने अंदर से भीड़ को उगलती हैं और निगलती हैं। पहली पहली बार सब कुछ अजीब सा लगता है। यदि आपका दिल कमजोर है तो बस आप यही चाहेंगे कि दूसरी ट्रेन पकड़ कर गांव या उस शहर को लौट जाएं जहां से आएं है। लेकिन एक बार जब आप इस शहर में कदम रख देते हैं तो अपने आप हमारों ख्वाब आपके अंदर उमड़ने लगते हैं। हर कोई यहां पैसा कमाने आता है। यदि आपको पैसे से मोह नहीं है तो यह शहर आपके लिए नहीं है। पैसों की झंकार गुंजती है मुंबई की हवा में। आप चाहे तो यहां रंक से राजा बन सकते हैं। बशर्ते किस्मत आपके साथ हो। मुंबई की सबकी लाइफ मशीन सी है। यदि आप अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त से मिलने यहां आएं तो बेहतर यही होगा कि उसे पहले से सूचित कर के आएं। वरना पता चला कि आप आए और वो काम में इतने व्यस्त हैं कि पूरा सप्ताह आपसे बिना ही मिले गुजार लें। इसमें उनका भी दोष नहीं है। जीवन ऐसा है यहां पर।
एक के बाद एक लोकल ट्रेन अपने अंदर से भीड़ को उगलती हैं और निगलती हैं। पहली पहली बार सब कुछ अजीब सा लगता है। यदि आपका दिल कमजोर है तो बस आप यही चाहेंगे कि दूसरी ट्रेन पकड़ कर गांव या उस शहर को लौट जाएं जहां से आएं है। लेकिन एक बार जब आप इस शहर में कदम रख देते हैं तो अपने आप हमारों ख्वाब आपके अंदर उमड़ने लगते हैं। हर कोई यहां पैसा कमाने आता है। यदि आपको पैसे से मोह नहीं है तो यह शहर आपके लिए नहीं है। पैसों की झंकार गुंजती है मुंबई की हवा में। आप चाहे तो यहां रंक से राजा बन सकते हैं। बशर्ते किस्मत आपके साथ हो। मुंबई की सबकी लाइफ मशीन सी है। यदि आप अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त से मिलने यहां आएं तो बेहतर यही होगा कि उसे पहले से सूचित कर के आएं। वरना पता चला कि आप आए और वो काम में इतने व्यस्त हैं कि पूरा सप्ताह आपसे बिना ही मिले गुजार लें। इसमें उनका भी दोष नहीं है। जीवन ऐसा है यहां पर।
Comments
और कुछ नहीं,...अन्यथा, मैं कहां और वह महान् प्रेमचंद कहां !!
agar app mumbai ja rahe hai to appne rehane ka intjam pahale hi kar ......le
dear i have so many teach there...
that india"s fastest city......
mumbai accha hai,lekin itna kafi nahi hai hame pure india ko accha banana hoga.