उन दोनों के तलाक की खबर सुनने में उसे एक अजीब सा सकून मिल रहा था। यह स्वाभाविक भी था शायद। लेकिन कहीं न कहीं कुछ गलत भी था। कल ही उसे पता चला कि उन दोनों का तलाक हो गया है। वह उसकी पूर्व प्रेमिका थी, जो बिछड़ गई थी और उसे उम्मीद है कि तलाक के बाद अब वे फिर से एक दूसरे की बांह में झूल सकते हैं। हां यही तो उसे दिमाग में घूम रहा था। अचानक उसके मोबाइल की रिंग टोन ने उसे जगाया। वह सही था। पूरे आठ साल बाद मोबाइल की स्कीन पर परूनिषा की फोटो नंबर के साथ चमक रही थी। उसे विष्वास नहीं हुआ। लेकिन काॅल उसी का था। कांपते हाथों से उसने मोबाइल की स्वीच दबा और कहा हां बोलो। उधर से उसने जो कहा, वह उसके वजूद को हिलाने के लिए काफी था। परूनिषा ने कहा, बस अब सहन नहीं होता। मैं आप सभी को छोड़कर जा रही हूं। बस और उधर से फोन काट दिया गया। वह आज भी उस शहर में परूनिषा को खोज रहा है जहां वह उसे छोड़कर गया था।
समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस शहर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्यार है। और किसी भी प्यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा
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कहाँ गई होगी?