टूटने के बाद फिर से जुड़ना शायद इतना तकलीफदेय नहीं होता है जितना जुड़ने के बाद टूटना। कल शाम अचानक वे मेरे सामने खड़ी थीं। मुझे लगा मैं कोई ख्वाब देख रहा हूं, लेकिन यकीन मानिए यह ख्वाब नहीं सोलह आना सच था। अंतिम बार वे मुझे बोरीवली के स्टेषन पर छोड़कर जयपुर चली गई थीं और मैं मुंबई के उसी स्टेषन पर कई दिनों तक उसका इंतजार करता रहा। लगा था कि जयपुर से आने वाली गाड़ी से वे वापस आएगीं। पहले दिन बीते और फिर महीने। लेकिन वे नहीं आईं। मेरा भी मुंबई छूट गया। मौसम बदलते गए और कैलेंडर के पन्ने। पर वे नहीं आईं। धीरे धीरे मैं भी उन्हें भुलाता गया। लगभग भूला ही दिया था। लेकिन अचानक उन्हें देखकर उनके साथ बिताए गए एक एक पल फिर से मेरे सामने जिंदा हो गए। मैने कभी कभी सोचा भी नहीं था कि वे ऐसे मेरे सामने आएंगी। बोरीवली में जब वे छोड़कर जा रही थीं तो कुछ अजीब सा लग रहा था और जब आज वे मेरे सामने हैं तो भी अजीब लग रहा है।
गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...
Comments
.......ऐसा ही होता है .........बिल्कुल सही लिखा है।
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया।
तो ये मामला है
:)
.......ऐसा ही होता है ........