
वह कभी अपनी मां से लिपट कर रो रही थी तो कभी अपने छोटे भाई से। बाप के पास भी गई थी रोने के लिए। बाप की आंखों में आंसू के दो बूंद तो जरूर थे। लेकिन वह दहाड़ मार कर रो रही थी। कार का दरवाजा खोला जा चुका था। अपने पति और ननद केसाथ वह अंदर बैठ चुकी थी लेकिन उसका रोना थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। वह लगातार रो रही थी।
सुबह के वक्त जब वह अपने पति के लिए चाय बनाने के लिए उठी तो न जाने क्यों मन हुआ कि जाकर अखबार भी ले आया जाए। अखबार से उसका कुछ खास लगाव था। उसका वह भी एक अखबार में ही तो काम करता था। उसके घर आने वाला अखबार भी वही अखबार था जहां उसका प्रेमी काम करता था। अखबार के एक कोने में आज एक छोटी सी खबर थी। उस अखबार के एक संवाददाता की कल रात ही मौत हो चुकी थी। उसका रोना फिर शुरु हो चुका था। वह लगातार रोए जा रही थी। कभी अखबार को देखकर तो कभी अपने हाथों में लगी हुई उस मेहंदी को जिसे उसने किसी के लिए रचाने का वादा किया था। वह लगातार रोई जा रही थी।
Comments
तो नहीं लिख दिए आप!!!!?
इस पर मैं हंसू या रोऊँ....
समझ नहीं आता...