देश में सूचना का अधिकार और रोजगार गारंटी कानून तो लागू है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह इससे जमीन पर लाने के लिए क्या क्या पापड़ बेलने पड़े। चलिए मैं अपने शब्दों में थोड़ा सा बताने का प्रयास करता हूं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन दोनों कानूनों की सबसे पहली लड़ाई राजस्थान से ही शुरु हुई थी। जिसके बाद ही दूसरों राज्यों में इस कानून को बनाने के लिए आंदोलन शुरू हो पाया।मुझे अच्छी तरह याद है कि कैसे पहले सूचना के अधिकार को फिर रोजगार गारंटी कानून को लेकर लड़ाई लड़ी गई थी। आज भी यह लड़ाई जारी है बस फर्क इतना है कि अब लड़ाई इस कानून का फायदा समाज के लोगों को दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है। देश में कानूनों की कमी नहीं है। लेकिन कोई भी कानून तभी सफल हो सकता है जब लोग उसे प्रयोग में लाएं। सूचना के अधिकार को लेकर मजदूर किसान शक्ति संगठन की अरुणा राय ने एक बार इस कानून को डेमोक्रेसी के लिए आक्सीजन बताया था। पूरे देश में इन दोनों कानूनों के लिए जमीन से लेकर सरकारी स्तर पर खूब लड़ाई लड़ी गई है। चाहे वह जयपुर में 52 दिन को वो धरना हो या फिर संसद की सड़कों पर
उतरना हो। इसी लिए कहता हूं कि मुझे जानने का हक है।
उतरना हो। इसी लिए कहता हूं कि मुझे जानने का हक है।
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