कई दिनों बाद आज लिखने बैठा हूँ. सोच रहा हूँ उसके बारे में लिखूं जिसकी जिंदगी में अब मैं नहीं हूँ, आज भी उसकी एक झलक पाने के लिए दिल बेकरार रहता है. लेकिन मुझे पता है अब मैं उसे कभी नहीं देख पाउँगा. फिर भी वो मेरे दिल के सबसे करीब है. उसकी सांसों को आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ. वो अब मेरी जिंदगी में नहीं है. वो अब मेरे शहर में है और मैं उस शहर में जहाँ हम मिले थे. उसके जाने के बाद मेरी जिंदगी अब थम सी गई है लेकिन फिर भी मैं चल रहा हूँ और उमीद है की हम एक दिन मिलेंगे और एक अच्छे दोस्त की तरह.
मुंबई यानि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्चे कुपोषित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्चे उन्हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम...
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KABHI KABHI TO AAYA KARO BLOG PER
shubhkamnaein.