कई दिनों बाद आज लिखने बैठा हूँ. सोच रहा हूँ उसके बारे में लिखूं जिसकी जिंदगी में अब मैं नहीं हूँ, आज भी उसकी एक झलक पाने के लिए दिल बेकरार रहता है. लेकिन मुझे पता है अब मैं उसे कभी नहीं देख पाउँगा. फिर भी वो मेरे दिल के सबसे करीब है. उसकी सांसों को आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ. वो अब मेरी जिंदगी में नहीं है. वो अब मेरे शहर में है और मैं उस शहर में जहाँ हम मिले थे. उसके जाने के बाद मेरी जिंदगी अब थम सी गई है लेकिन फिर भी मैं चल रहा हूँ और उमीद है की हम एक दिन मिलेंगे और एक अच्छे दोस्त की तरह.
गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...
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KABHI KABHI TO AAYA KARO BLOG PER
shubhkamnaein.