अक्सर मैं सोचता हूं कि कुछ वक्त निकाल कर कुछ न कुछ लिखा जाए अखबार के अलावा। कई दिनों बाद आज मौका मिल ही गया है। आज पुरानी कहानी को फिर से नए अंदाज में लिखने को दिल कह रहा है। कुछ इस कहानी से बुरी तरह पक जाएंगे तो कुछ कहेंगे आषीष भाई बहुत हुआ। अब तो बंद करो। सभी को बस यही कहना चाहूंगा कि दिल है कि मानता नहीं। खैर अधिक नहीं झेलाते हुए शुरूआत करता हूं। यह कहानी भोपाल में शुरू हुई और शायद जयपुर जाकर खत्म हो चुकी है। शायद। कहते हैं कि प्यार में बड़ी ताकत होती है। सच्चा प्यार आपको जीना सिखाता है और एक तरफा प्यार आपको बर्बाद कर देता है। खैर मुझे नहीं पता कि मैं बर्बाद हुआ या आबाद। मुझे आज भी उसके होंठो का वो तिल बार बार परेषान करता है जो उसके मुस्कुराने के साथ दिखता था। कई साल बीत गए और मैं उसकी मुस्कुराहट को तरस गया हूं। भोपाल से मुंबई हम साथ गए थे। लेकिन मुंबई से हम दोनों का रास्ता अलग हो चुका था। उसने राजस्थान की राजधानी में एक अखबार को ज्वाइन कर लिया था। और मैं भी मुंबई की नौकरी छोड़कर भोपाल का वापस रूख कर लिया था। जितने दिन भी हम साथ थे, वे कम से कम मेरे जीवन के सबसे अच्छे दिनों में से एक थे। वो जयपुर में कैसी है, समय समय पर मैं दूसरे लोगों से पता करता रहता हूं और उम्मीद करता हूं कि महीने में कुछ सेकेंड वो मेरे लिए निकालती होगी। लेकिन पता नहीं। हो सकता है मैं सही भी हूं या फिर गलत भी। मुझे आज भी उसका इंतजार है। उसकी मुस्कुराहट और उसके होने के अहसास को मैं आज भी महसूस करना चाहता हूं। लेकिन मुझे पता है कि यह शायद अभी कभी भी संभव नहीं हो। फिर भी कहते हैं ना कि उम्मीद पर दुनिया कायम है। खुदा से बस इतना ही चाहता हूं कि वह जहां भी रहे खुष रहे। और क्या लिखूं। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मुझे लगा रहा है कि इसे पढ़ने के बाद वह काफी गुस्सा होगी। लेकिन लिखना मेरी मजबूरी है। खासतौर पर उन किस्सों और अनुभवों को जिन्हें मैं किसी अंजात तक नहीं पहुंच पाए।
समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस शहर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्यार है। और किसी भी प्यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा
Comments
khule aasma ki na zameen ki talash kar,
sab kuchh yahin hai na kahin aur talash kar,
har aarzoo puri ho to jeene ka kya maza,
jeene k liye bas ek kami ki talash kar.
http://shaam-e-ghazal.blogspot.com