गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे.
सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय....अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे?
गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?...
सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन साहब?...वैसे आपके देसाई साहब ने मोदी का बहुत विरोध किया पिछले गुजरात चुनावों में...रिजल्ट आने के बाद मोदी के सामने घिघिया रहे थे...पूछिए उनसे, याद है की नहीं उनको...बड़े इज्जत से बात किया था मोदी ने उस समय...आपको क्या मालूम...आप कोई टुच्चे टाईप पत्रकार हैं...
अब क्या कहूँ मैं..खैर बेनामी जी मैं टीवी १८ के बोर्ड में नहीं बल्कि इसी ग्रुप में एक पत्रकार की हैसियत से काम करता हूँ. और हाँ जहाँ तक सरदेसाई जी की बात है तो मोदी के सही तस्वीर यानी गुजरात के नीरो की तस्वीर उन्होंने ही सबके सामने लाई थी..और राजदीप सरदेसाई ने कभी भी घिघियाऐ नहीं है. और आप जिन शब्दों का उपयोग करते हैं उससे तो बस यही पता चलता है कि बड़े बदतमीज किस्म के इन्सान हैं.
और एक अन्तिम बात... गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी वाली स्टोरी बिल्कुल गलत थी..जो कि एक गलती थी.. वैसे जहाँ तक बाकी कहानियो की बात है तो हम वहीं दिखाते हैं जो कि दुर्भाग्य से इस देश की जनता देखती है,.मत देखिये आप..लेकिन नहीं आपको ऐसी न्यूज़ में मजा आता है. और चैनलों की आय बढती है.
सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय....अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे?
गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?...
सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन साहब?...वैसे आपके देसाई साहब ने मोदी का बहुत विरोध किया पिछले गुजरात चुनावों में...रिजल्ट आने के बाद मोदी के सामने घिघिया रहे थे...पूछिए उनसे, याद है की नहीं उनको...बड़े इज्जत से बात किया था मोदी ने उस समय...आपको क्या मालूम...आप कोई टुच्चे टाईप पत्रकार हैं...
अब क्या कहूँ मैं..खैर बेनामी जी मैं टीवी १८ के बोर्ड में नहीं बल्कि इसी ग्रुप में एक पत्रकार की हैसियत से काम करता हूँ. और हाँ जहाँ तक सरदेसाई जी की बात है तो मोदी के सही तस्वीर यानी गुजरात के नीरो की तस्वीर उन्होंने ही सबके सामने लाई थी..और राजदीप सरदेसाई ने कभी भी घिघियाऐ नहीं है. और आप जिन शब्दों का उपयोग करते हैं उससे तो बस यही पता चलता है कि बड़े बदतमीज किस्म के इन्सान हैं.
और एक अन्तिम बात... गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी वाली स्टोरी बिल्कुल गलत थी..जो कि एक गलती थी.. वैसे जहाँ तक बाकी कहानियो की बात है तो हम वहीं दिखाते हैं जो कि दुर्भाग्य से इस देश की जनता देखती है,.मत देखिये आप..लेकिन नहीं आपको ऐसी न्यूज़ में मजा आता है. और चैनलों की आय बढती है.
Comments
ऐसे ही कार्यक्रम दिखाते रहिये!!!
बन्धू हम तो ब्लू फिल्मे भी देखना चाहते है, कब प्रसारित कर रहें है? अम्मा यार, ऐसे खिसे हुए तर्क मत दो.
आज बोर्ड में नहीं हो मगर कल हो सकते हो. तब क्या करोगे? यही तर्क दोगे या बदलाव लाने का प्रयास करोगे? साहस दिखाते हुए अंधविश्वास का परदाफास करो, जनता उसे भी पसन्द करेगी. हाँ उसमें मेहनत ज्यादा है.
कल यह तो नहीं कहोगे की हमने गुजरात को इसलिए बदनाम किये रखा क्योंकि जनता यही देखना, सुनना चाहती थी, वैसे वास्तविकता तो हमे पता ही थी :)
आपका दिल जो भी कहे आप लिख रहे हैं किसी को अच्छा लग सकता है किसी को नही,मोदीभक्त उद्दंड हैं और मुझे लगता है इन संकीर्ण लोगो को आप अगर सफाई देने लग जाय ये गलत होगा,जो आपकी समझ है वो तो आप बदल भी सकते है पर ये सब शरारती तत्व है और भी लिखियेगा मोदी के बारे तो ये उत्पात मचाने लगेंगे, पर इनके उत्पात पर आप अपना लेखन ज़ारी रखियेगा, शुक्रिया
अच्छा किया आपने.बेनामी को जवाब दे डाला.ऐसे लोगों को इसी तरह से जवाब देना चाहिए, जैसा आपने दिया है....
लेकिन बन्धु, एक बात बताईये.आपने लिखा है कि आप लोग वही प्रोग्राम दिखाते हैं, जो जनता वैसे प्रोग्राम ही देखना चाहती है.क्या जनता आपके पास जाकर कहती है की आप ऐसे ही प्रोग्राम दिखायें?
क्या जवाब दिया है आपने.आपका बौद्धिक स्तर देखकर लग रहा है कि इसके लिए भी आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ी होगी.
वैसे एक बात बतायें. बेनामी क्या इसलिए बदतमीज थे कि उन्होंने आपको टुच्चा कहा?अगर ऐसी बात है तो मैं मानता हूँ कि उन्होंने बदतमीजी की है.लेकिन मैं ये भी कहूँगा कि आपकी भाषा भी कुछ कम बदतमीज नहीं है. आप लिखते हैं कि भगवा नेकर पहने लोग आपके पीछे पड़े हैं.भगवा शब्द का इस्तेमाल तो धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदारों ने भी डर के मारे बंद कर दिया है.ए के एंटोनी जी से पूछिए, जिन्होंने विनती करके अपनी ही पार्टी के नेताओं से भगवा शब्द का मजाक नहीं बनाने के लिए कहा.
बात रही करन थापर की, मोदी ने अच्छा ही जवाब दिया है। चुनाव के समय गुजराज सम्बन्धी प्रश्न का उत्तर गुजरात की चुनाव भूमि पर दिया जाना उचित होगा। न कि मीडिया के मंच पर।
जिस मीडिया की निरपेक्षता की दुहाई, आप लोग देते है वह तो स्पष्ट हो ही गयी। मैने ग्रुप 18 के जोश एक मोदी सम्बन्धी लेख पर एक टिप्पणी की थी, ऐसा कुछ नही था कि उसे प्रकाशित किया जाना गलत होता किन्तु इन पत्रकारो की जमात ने उस टिप्पणी को लील गयें। यही है पत्रकारिता का सच।
ऐसा उत्तर देने वाले आप पहले व्यक्ति नहीं हैं। मैंन भी जब पहली कक्षा में पढ़ता था, और जब पहली बार प्रश्नपत्र मिला, तो ऐसा ही किया था - पूरा पेपर ही उतार के आ गया।
मोदी को बुरा भला कहता जबान नहीं थकती
सिंगुर के बारे में सुना है? दंगो से कम जानें नहीं गयीं वहां
गुजरात में हुये हत्याकांड तो फिर भी सरकारी तंत्र ने नहीं किये
लेकिन सिंगुर में सरकार ने खुद हत्यायें कराईं.
उसे मैं गुजरात से भी वीभत्स मानता हूं, लेकिन उसकी बात करता है कोई?
क्यों नहीं करता? कम्युनिस्टों से कुछ यारी है पत्रकारों की?
yah saaf taur par ek chhupi huyi dhamki thee-'dosti bani rahni chahiye..'.ki dosti nahi rahi to anjaam aap soch lenaa.
iske baad 'Mr. Modi' se baat shuru karne wale thapar 'modi saab ' aur 'sir' par utar aaye.
tv patrkaaritaa kee seemaayen apni jagah, lekin anek blaagi mitro ka modi prem dekh kar to yahi kaa jaa saktaa hai ki
DEKHO HATYARON KO MILTAA RAAJ-PAAT SAMMAN
JISKE MUNH MEN KAUR MAANS KA USKO MAGAHI PAAN!
[arun kamal]