क्या आप मेरा गुनाह जानना चाहेंगे
क्या कहा नहीं
लेकिन क्यों नहीं
आपको यह पता होना चाहिए
मेरा गुनाह क्या हैं
चलिए अब मैं ही बता देता हूँ
इस समाज में मोहब्बत और शांति
की बात करना गलत हैं
यहाँ आप इन्सान बाद में हैं
पहले हिंदु या मुस्लिम हैं
यदि ये भी नहीं हैं
तो जरुर आदमी या महिला होंगे
लेकिन इन्सान नहीं
मैंने यह ही गलती कर डाली
और अपने को इन्सान मान लिया
कुछ ने मुझे पागल कहा
तो किसी ने महिलों का पक्ष लेने वाला
किसी ने वामपंथी कहा
तो किसी ने बेवकूफ
लेकिन मुझे मंजूर है ये सज़ा
आख़िर मैंने जुर्म किया हैं
सज़ा तो मिलनी चाहिए
क्या कहा नहीं
लेकिन क्यों नहीं
आपको यह पता होना चाहिए
मेरा गुनाह क्या हैं
चलिए अब मैं ही बता देता हूँ
इस समाज में मोहब्बत और शांति
की बात करना गलत हैं
यहाँ आप इन्सान बाद में हैं
पहले हिंदु या मुस्लिम हैं
यदि ये भी नहीं हैं
तो जरुर आदमी या महिला होंगे
लेकिन इन्सान नहीं
मैंने यह ही गलती कर डाली
और अपने को इन्सान मान लिया
कुछ ने मुझे पागल कहा
तो किसी ने महिलों का पक्ष लेने वाला
किसी ने वामपंथी कहा
तो किसी ने बेवकूफ
लेकिन मुझे मंजूर है ये सज़ा
आख़िर मैंने जुर्म किया हैं
सज़ा तो मिलनी चाहिए
Comments
aapke dost ko SALAM-NAMAN. aur aapko thanks ... kavita ko manch dene ke liy.