Skip to main content

खलनायक हैं ठाकरे; मोदी और संजय गाँधी

शिवसेना ने एक बार फिर से साबित कर दी कि यदि किसी ने भी सच बोलने का प्रयास किया तो उसे हिंसक तरीके से कुचल दिया जाएगा। परसों भी बोम्बे मे यही देखने को मिला
जब शिवसेना ने हिंदी पत्रिका आउटलुक के ऑफिस मे धुस कर जमकर हंगामा मचाया। शिवसेना का कहना कि आउटलुक ने बाला साहेब को ६० सालो का खलनायक कहा है। ठाकरे के अलावा इस लिस्ट में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और संजय गाँधी जेसे नेताओं का भी नाम हैं। क्या आउटलुक ने गलत कहा। आउटलुक ने वही कहा जो कि हैं। ठाकरे ने आमची मुम्बई के नाम पर कितनी राजनीती की हैं यह सब जानते हैं। मुम्बई मे आज भी शिवसेना का तांडव जारी हैं। जिसका खामियाज़ा उत्तर परदेश और बिहार के लोगों को उठाना पड़ता हैं।

Comments

सच सुनने, सच कहने और सच बोलने के अलावा सच सहने की शक्ति काफी कम लोगों में होती है। भगवान इन हंमागेबाजों को सदबुद्धि दे। वैसे कहावत है नंगे से तो खुदा भी डरता है तो आम आदमी की क्‍या बिसात।
Anonymous said…
ashish ji aapko is baat ke liye sadhuvad ki aapne yeh baat samane lai varna yeh khabar kahin bhi padne ko nai mili..in hindutva party desh ko hazaro sal piche le jana chahti hain.

Raj Sharma
NDTV
Anonymous said…
sir vaise mera naam bhi ashish hi hai.jahan tak aap modi aur bal thakre ko khalnayak kaha hai main aap se sehmat nahi hun.haan in sab ko thik nahi kaha ja sakta lekin is duniya mein kaun doodh ka dhula hai.aap ka pesa yahi ho sakta hai tab to thik hai.lekin agar aapne ye baat soch samjhkar kahi hai tab to afsos hai mujhe aapki soch par hain.hamara desh aise hi loogon ke karan aaj is halat mein hai.jimhe godhra to saamjh ata hai lekin mau ka dnga nahi dikhta.jo apne desh mein parmanu parikhan ko galat kehte hain lekin iran ka is mudde par support karte hain kya soch hai aap logon ki aap hi jane.mujhe nahi pata.tajmahalke liye asman sir par utha lete hain lekin ramsetu par maun sadh lete hain kaisi samjah hai main nahi janta.auar rahi baat sach ki to sach kya hai kya aap mujhe batayenge?main aapko bata hoon sach vahi hai jise aap sabit kar dein.aur kya kahoon?baki aap samjh hi sakte hain.
Anonymous said…
ashish ji,
ye sach hai ki jo-kuchh mumbai me hua wo, sahi nahi hai.lekin kisi ko bhi nayak ya khalnayak banane me kya media ki koyi bhumika n hoti.khabro aur sansani ke naam par unhe satwe asman par pahuchane wale bhi to hum hi hain.
jinhe hum kitabi gyan aur graf ke aadhar pe nayak ya khalnayak bana dete hain.unhe kahi na kahi bhari jan-samarthan mila hota hai aur isi lok tantra ke sahare wo satta par aaseen hote hain.
sabse pahle to media ko apna dharatal talashna hoga ki jin logo ko media hilight kar raha hai unki waswikta kya hai?
hamare kuchh bhayi log ye kahne se bhi nahi chukte ki up & bihar walo ke sath jo ho raha hai, wo sahi hai.us samay wo ye bhul jate hain ki up, bihar ke log bhi bharatwasi hain.hum khud hi apne apko alag karte hain, fir alag hone ka rona rote hain.aur agar baal thakre, modi aur sanjay gandhi khalnayak hain to fir shahi imam bukhari, shekh abdullah aur saiyad shahabuddin jaise log khalnayko ki line me pichhe kaise hain..? jo jama masjid jaise pawitra jagah se dangon ka ailaan karte hain...aur unke mamlo me media kyo doyam rawaiya apnati hai...?
agar hum nispakchh hain to hame har dristikon se sochanaa hoga.nahi to is tarah ki dukhad ghatnaen hoti rahengi...hame is mansikta se nikalnaa hoga ki 'dusaro ke ghar aag lage to haath seko aur khud ke ghar aag lagi to koyi bol n rahaa'...!
मुझे नही पता कि आप गाँधी और उनके विचार के बारे मे क्या जानते हैं। मैं तो बस शांति कि बात कर रहा हूँ। गाँधी बाबा भी यही करते थे और उन्हें संध ने गोली मार दी। मैं पूरी तरह हिंदु और मुस्लिम सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं। आप यह भ्रम न रखें की हमारे जेसे लोग सिर्फ हिंदू सांप्रदायिकता का ही विरोध करते हैं।

Popular posts from this blog

मुंबई का कड़वा सच

मुंबई या‍नि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्‍वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्‍ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्‍त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्‍चे कुपो‍षित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्‍चे उन्‍हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम...

प्यार, मोहब्बत और वो

आप यकिन कीजिए मुझे प्यार हो गया है. दिक्कत बस इतनी सी है कि उनकी उमर मुझसे थोडी सी ज्यादा है. मैं २५ बरस का हूँ और उन्होंने ४५ वा बसंत पार किया है. पेशे से वो डाक्टर हैं. इसी शहर में रहती हैं. सोचता हूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार कर ही दूँ. लेकिन डर भी सता रहा है. यदि उन्होंने ना कर दिया तो. खैर यह उनका विशेषाधिकार भी है. उनसे पहली मुलाकात एक स्टोरी के चक्कर में हुई थी. शहर में किसी डाक्टर का कमेन्ट चाहिए था. सामने एक अस्पताल दिखा और धुस गया मैं अन्दर. बस वहीं उनसे पहली बार मुलाकात हुई. इसके बाद आए दिन मुलाकातें बढती गई. यकीं मानिये उनका साथ उनकी बातें मुझे शानदार लगती हैं. मैं उनसे मिलने का कोई बहाना नहीं छोड़ता हूँ. अब आप ही बताएं मैं क्या करूँ..

बेनामी जी आपके लिए

गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...