कुछ दिनों पहले जब तसलीमा पर हैदराबाद में मुस्लिम संगठन MIM के विधायकों ने तसलीमा के ऊपर हमला कर दिया तो कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि देश की धर्मनिरपेक्ष ताकतें तसलीमा के बचाव में भी खुलकर नहीं आ रही हैं। अब इन लोगों को कौन बताये कि बोम्बे से लेकर देल्ही में लोगों ने तसलीमा पर हमले का विरोध किया हैं। इसमे मानवाधिकार संगटन से लेकर आमजन तक शामिल हैं। लेकिन दुर्भाग्य हैं कि उन्हें मीडिया मे उतनी जगह नही मिली जितनी मिलनी चाहिऐ।
लोगों को कहना कि अगर एमएफ हुसैन की भारत माता या किसी देवी-देवता को गलत तरीके डिखाने वाली पेंटिंग पर किसी हिंदू संगठन ने कुछ कहा होता तो, अब तक देश की सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें मिलकर हुसैन की तरफदारी में अभिव्यक्ति की आजादी के कसीदे पढ़ने लगतीं। लेकिन धर्मनिरपेक्ष जमात पर आरोप लगाने वाले कृपया अपनी जानकारी को और पुख्ता कर ले। शायद इन्हें नही मालूम हैं कि धर्मनिरपेक्ष लोग मुस्लिम कट्टरवाद का उतना भी उतना ही विरोध करते हैं जितना ही हिंदु कट्टरवाद का। लेकिन मीडिया मे केवल हिंदु कट्टरवाद का ही विरोध दिखाया जाता हैं। तो भाई साहब किसी पर अंगुली उठाने से पहले खुद अपने आप को देख लीजिये कि आप क्या कर रहे हैं।
लोगों को कहना कि अगर एमएफ हुसैन की भारत माता या किसी देवी-देवता को गलत तरीके डिखाने वाली पेंटिंग पर किसी हिंदू संगठन ने कुछ कहा होता तो, अब तक देश की सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें मिलकर हुसैन की तरफदारी में अभिव्यक्ति की आजादी के कसीदे पढ़ने लगतीं। लेकिन धर्मनिरपेक्ष जमात पर आरोप लगाने वाले कृपया अपनी जानकारी को और पुख्ता कर ले। शायद इन्हें नही मालूम हैं कि धर्मनिरपेक्ष लोग मुस्लिम कट्टरवाद का उतना भी उतना ही विरोध करते हैं जितना ही हिंदु कट्टरवाद का। लेकिन मीडिया मे केवल हिंदु कट्टरवाद का ही विरोध दिखाया जाता हैं। तो भाई साहब किसी पर अंगुली उठाने से पहले खुद अपने आप को देख लीजिये कि आप क्या कर रहे हैं।
Comments
कहते है मीडिया वही दिखाता है जो लोग देखना चाहते है :)
Aadab Arz
True, all forms of communalism and fundamentalism ought to be condemned and fought with.It's a matter of perception though and what people want to see or hear. I do condemn Muslim fundamentalism as strongly. It's a different thing that people keep saying Muslims don't speak. Ab kyaa karein?
aur sabse bari baat to ye hai ki agar hamara samaz dharm-nirpekch ho gaya to fir polyticians ke paas koyi kaam hi nahi bachega. aise me sabhi janta ho jaenge, fir netagiri kaun karega..?