Skip to main content

हवाई जहाज़ को लुत्फ उठासी म्हारे देश का डोकरा

जयपुर दिल्ली राजमार्ग एक पास एक छोटे से गाँव की बात हैं यह। पूरी सच्ची और भरोसे लायक। गाँव मे एक स्कूल हैं जो की अपने आप मे अनोखी हैं। इस पाठशाला मे ना रजिस्टर हैं और ना आने जाने कि कोई पाबंदी। इस गाँव का नाम हैं जयसिन्ह्पुरा। इस पाठशाला में ६५ से ८० साल के बीच के दादा दादी पढ़ने आते हैं। यह तो हुई एक बात। लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही खबर आई हैं कि इस गाँव के १५ लोग हवाई जहाज़ का लुत्फ उठाएंगे। आप सोच रहे होंगे कि इस मे खास क्या हैं। तो भाई खास यह हैं कि इसमे से कई लोग कभी भी ट्रेन में पांव नही रखा हैं। लेकिन अब वो लोग हवाई जहाज़ का मज़ा लेंगे। हैं ना खबर मे दम।

Comments

Anonymous said…
आशीष आप की बात मे वाकई दम है....मे भी राजस्थान से .
खूबसूरत खबर। हवाई यात्रा और सस्‍ती हो जाए तो सभी लोगों की चीलगाड़ी में जाने की इच्‍छा पूरी हो जाए।
mamta said…
वाकई खबर अच्छी है !!
Anonymous said…
varishtha patrakaar ashish ji...

apne is khabar me bas ek chij sahi kar le to achha rahega..
apne LUTF ko LUFT likha hai..jo ki koi word nahi hota..

mujhe nahi pata..apki news ko itne logo ne padha aur comment diye par kisi ne apki galati ko point out nahi kiya..
thanks u samta...yeh galti batne ke liye//

Popular posts from this blog

बाघों की मौत के लिए फिर मोदी होंगे जिम्मेदार?

आशीष महर्षि  सतपुड़ा से लेकर रणथंभौर के जंगलों से बुरी खबर आ रही है। आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। इतिहास में पहली बार मानसून में भी बाघों के घरों में इंसान टूरिस्ट के रुप में दखल देंगे। ये सब सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए सरकारें कर रही हैं। मप्र से लेकर राजस्थान तक की भाजपा सरकार जंगलों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहती है। इन्हें न तो जंगलों की चिंता है और न ही बाघ की। खबर है कि रणथंभौर के नेशनल पार्क को अब साल भर के लिए खोल दिया जाएगा। इसी तरह सतपुड़ा के जंगलों में स्थित मड़ई में मानसून में भी बफर जोन में टूरिस्ट जा सकेंगे।  जब राजस्थान के ही सरिस्का से बाघों के पूरी तरह गायब होने की खबर आई थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरिस्का पहुंच गए थे। लेकिन क्या आपको याद है कि देश के वजीरेआजम मोदी या राजस्थान की मुखिया वसुंधरा या फिर मप्र के सीएम शिवराज ने कभी भी बाघों के लिए दो शब्द भी बोला हो? लेकिन उनकी सरकारें लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले करती जा रही हैं, जिससे बाघों के अस्तिव के सामने खतरा मंडरा रहा है। चूंकि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में उ...

मेरे लिए पत्रकारिता की पाठशाला हैं पी साईनाथ

देश के जाने माने पत्रकार पी साईनाथ को मैग्‍ससे पुरस्‍कार मिलना यह स‍ाबित करता है कि देश में आज भी अच्‍छे पत्रकारों की जरुरत है। वरना वैश्विककरण और बाजारु पत्रकारिता में अच्‍छी आवाज की कमी काफी खलती है। लेकिन साईनाथ जी को पुरस्‍कार मिलना एक सार्थक कदम है। देश में कई सालों बाद किसी पत्रकार को यह पुरस्‍कार मिला है। साईनाथ जी से मेरे पहली मुलाकात उस वक्‍त हुई थी जब मैं जयपुर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के अलावा मैं वहां के कई जनआंदोलन से भी जुड़ा था। पी साईनाथ्‍ा जी भी उसी दौरान जयपुर आए हुए थे। कई दिनों तक हम लोग साथ थे। उस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला था उनसे। मुझे याद है कि मै और मेरे एक दोस्‍त ने साईनाथ जी को राजधानी के युवा पत्रकारों से मिलाने के लिए प्रेस क्‍लब में एक बैठक करना चाह रहे थे। लेकिन इसे जयपुर का दुभाग्‍य ही कहेंगे कि वहां के पत्रकारों की आपसी राजनीति के कारण हमें प्रेस क्‍लब नहीं मिला। लेकिन हम सबने बैठक की। प्रेस क्‍लब के पास ही एक सेंट्रल पार्क है जहां हम लोग काफी देर तक देश विदेश के मुददों से लेकर पत्रकारिता के भविष्‍य तक पर बतियाते रहे। उस समय साईनाथ किसी स...

बेनामी जी आपके लिए

गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...