वो चाहती थी कि मैं उसके साथ एक दोस्त जैसा ही बर्ताव करूं। लेकिन यह मेरे लिए संभव नहीं था। मैं उसे चाहता हूं। खैर हर किसी के चाहने से यदि खुदा मिलने लगता तो खुदा की औकात की क्या रह जाती। फिर भी लोग खुदा को जमीन पर लाने की जिद्द करते हैं। और मैं उस पागल लडक़ी के दिल में अपने लिए थोड़ी सी जगह बनाने का प्रयास कर रहा हूं पिछले कई बरस से। लेकिन कम्बख्त उसके दिल में मेरे लिए जगह ही नहीं है। उस बेगाने शहर को छोडक़र यहां आया। लेकिन दिल-ए-नादान को चैन यहां भी नहीं। जिस गली से गुजरता हूं, उसके होने का अहसास महसूस होता है। सोच रहा हूं अब यह शहर भी छोड़ दूं। आपकी क्या राय है। अब दुनिया से भी रुखसत होने का वक्त आ गया है।
नोट-कहानी
नोट-कहानी
Comments
शुभम।
कहानी अच्छी है, पर एक स्टूपिड से रिलेशन के लिये इतनी हताशा!!! दुनिया और भी बहूत से काम है।
mujhe to ye line bahut damdaar lagi.
kai ssari cheeze kah di. 1 sath.
kai aspects of life khol daale.
pooja prasad