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मेरे वो सबसे प्यारे दोस्त

कुछ बातें आज भी मेरी समझ में नहीं आती हैंै। कुछ के लिए अैं आज भी खलनायक हूं। वो मुझसे बेपनाह नफरत करते हैं और मैं चाह रहा हूं कि उनकी इस नफरत को प्यार में बदल दूंगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। मैने अपने कई ऐसे दोस्त इसी कारण खो दिए हैं। कई बार मैं ही जिम्मेदार था लेकिन कभी मैं नहींं था जिम्मेदार। खैर बस ख्ुादा से इतनी ही दुआ करता हूं मुझे मेरे वो सब दोस्त वापस कर दें जिन्हें मैं खो चुका हूं। इसमें मेरे वो सबसे प्यारे दोस्त भी हैं जो मुझे कालेज लाइफ में मिले थे।

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ईश्वर आप को आप के दोस्तों से जरूर मिलवाएगा।हमारी शुभकामनाएं।
दोस्‍ती जब किसी से की जाए दुश्‍मनों की भी राय ली जाए
आशीष एक ही बात कहना चाहूंगा कि जो कुछ हम पीछे छोड़ आते हैं वो पीछे ही रह जाता है उसको आगे जाकर तलाश करने के चक्‍कर में हम अपने आज के साथ बड़ा अन्‍याय करते हैं सो जो बीत गई सो बात गई के सिद्धांत पर चलो । जिंदगी में दोस्‍ती और दुश्‍मनी तो मिलती ही रहती है । और हां एक बात तुम्‍हारे पोस्‍ट को देखकर लग रहा है कि तुम लापरवाह व्‍यक्ति हो, इतनी सारी ग़लतियां । लापरवाही ही तो वो एक मात्र कारण्‍ा है जो अंतत: हमारी पीड़ाओं के मूल में होती है ।

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