मुंबई से भोपाल और अब इंदौर में अपना डेरा जम गया है। अब देखने वाली बात यह है की मालवा की जमीं से मुझे कितना प्यार मिलता है। आज पहला दिन शानदार रहा। मैंने पहले ही दिन इस शहर को अपना मान लिया है और शायद यहाँ के रहवाशी भी मुझे अपना मानकर बेपनाह मोहब्बत दें। इंदौर के सभी ब्लोगेर्स से मेरा विन्रम अनुरोध है कि मुझे भी अपनी जमात में शामिल कर लें। आज सुबह जैसे ही यहाँ की सरजमीं पर कदम रखा तो पानी की बूंदों ने कहा कि बिना नहाये यहाँ किसी को प्रवेश नही है सो मुझे भीगना ही था। और यही कारण रहा की मैं पूरी तरह अभी भी फ्रेश महसूस कर रहा हूँ। जबकि वक्त बहुत अधिक हो गया है।
मुंबई यानि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्चे कुपोषित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्चे उन्हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम
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>> लोगबाग मुझसे पूछते रहते हैं - पीईटी काउंसिलिंग का समय है - कौन सा विषय और कौन सा कॉलेज अच्छा है - भोपाल-इंदौर में. कोई स्टोरी इस पर कीजिए या किसी से करवाइए.
अच्छा लगेगा. मैं भी एक दो बार घुमा हूँ.
आकाश के नमकीन जरुर खईयेगा. वो भी लौंग वाले भुजिया.
SWAGAT HAI JI.............!!"
AWDHESH PRATAP SINGH
# 98274 33575, INDORE