
सामने से गीत और दुष्यंत आते हुए दिखे। दोनों एक दूसरे का हाथ थामें अंदर चले आ रहे थे। एक दूजे में खोए हुए से वे सीधे कॉफी हाउस के फैमिली वाले हिस्से में चले गए। उनकी नजर अमित पर नहीं पड़ी थी क्योंकि वो नीचे वाले हिस्से में बैठा हुआ था।
शहर का यह कॉफी हाउस किसी जमाने में पत्रकारों, साहित्यकारों, नेताओं, स्टूडेंट्स और बुद्धिजीवियों की सैरगाह हुआ करता था। अब इसे दो भागों में बांट दिया गया है। एक हिस्सा पूरी तरह आधुनिक रेस्टोरेंट की शक्ल अख्यिातर कर चुका है तो दूसरा हिस्सा आज भी अतीत में ही उलझा हुआ है। उन दोनों को देखकर पहले तो अमित ने उन्हें नजरअंदाज करने की कोशिश की लेकिन फिर उन्हें उस वक्त तक देखता रहा, जब तक वे आंखों से ओझल नहीं हो गए।
अमित, दुष्यंत और गीत एक ही ऑफिस में काम करते थे। अमित ने जब पहली बार गीत को देखा तो उसमें ऐसा कुछ नजर नहीं आया, जो उसे उसकी ओर ले जाए। लेकिन उसकी आंखों में कुछ था, जो हर बार अमित को उसके करीब ले जाता था। देखते-देखते कब दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे, पता ही नहीं चला। वह उसे जितना चाहता था, उससे अधिक वह उसे चाहती थी। प्यार के उन दिनों को याद कर उसकी आंखों के आगे धुंधलका सा छा गया। कॉफी के मग को टेबल पर रख उसने चश्मा उतार पीछे की ओर टिककर आंखें बंद कर अतीत के गलियारों में भटकने लगा। पहली बार गीत को मिलने के लिए उसने इसी कॉफी हाउस में बुलाया था। इसी कॉफी हाउस में उसने प्यार का इजहार किया था और यहीं पर ढेरों वक्त साथ गुजारा था।
बहन की शादी के लिए जयपुर जाने से पहले, उनकी आखिरी मुलाकात भी इसी कॉफी हाउस में हुई थी, जहां उसने गीत की आंखों से आंसू पोंछते हुए वादा किया था कि वो इस बार अपनी शादी की बात भी करके ही लौटेगा। जयपुर पहुंचकर वो शादी की तैयारी में वो बेहद मसरूफ भले ही हो गया हो, लेकिन गीत को दिन में एक बार फोन जरूर करता था। वह भी हर रोज उसके फोन का ब्रेसबी से इंतजार करती। सात दिन तक सबकुछ सही था, लेकिन आठवें दिन जब अमित का फोन गीत के पास पहुंचा, तो हालात ही नहीं उनकी जिंदगी भी बदल गई।
‘‘गीत मुझे माफ कर देना। मैं तुमसे अभी भी प्यार करता हूं लेकिन अब हमारी शादी हो पाना असंभव है। बेहतर होगा कि तुम मुझे भूल जाओ। ’’
‘‘ मजाक कर रहे हैं ना आप? आपको पता है न, कि मैं आपसे दूर होकर नहीं जी सकती, तभी आप मुझे इस तरह सताते हैं। ’’
‘‘नहीं मैं कोई मजाक नहीं कर रहा हूं। हालात बदल गए हैं गीत, मैं अब तुमसे शादी नहीं कर सकता।’’
यह कहते वक्त अमित की आवाज में थोड़ी सख्ती आ गई थी। वैसे भी औरतें जहां थोड़ी सी दबीं, वहा मर्दो को मर्दागी दिखाने का मौका मिल जाता है। उसने भी शायद ऐसा ही किया था।
गीत का दिमाग कह रहा था कि यह मजाक है, लेकिन अमित की आवाज में आई सख्ती को महसूस कर, उसका मासूम दिल कांप उठा।
उसने कहा- ‘‘आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं आप? क्या हुआ? कुछ बताएंगे प्लीज?’’
‘‘मेरे घरवालों ने मेरे लिए लड़की खोज ली है। वह मेरी बहन की सहेली ही है।’’ गीत को लगा, जैसे उसकी दुनिया खत्म होने वाली है। उसे एक ऐसी सजा का फैसला सुनाया जा रहा है, जो उसने नहीं की और इस फैसले के खिलाफ सुनवाई होना भी नामुमकिन था। फिर भी उसने भीगे हुए, लाचारी भरे शब्दों में कहा - ‘‘आपने अपनी मां को मेरे बारे में बताया? उन्हें हमारे बारे में बता दीजिए ना। मुझे यकीन है, वे समझ जाएंगी। ’’
‘‘तुम्हें क्या लगता है, मैंने कोशिश नहीं की? उन्हें सबकुछ बता चुका हूं, लेकिन उनकी जिद के आगे कुछ नहीं कर सका। वैसे भी वे दिल की मरीज है, मैं उन्हें ठेस नहीं पहुंचा सकता। नहीं गीत, अब कुछ नहीं हो सकता। बेहतर होगा कि तुम मुझे भूल जाओ।’’
उसने आज पहली बार उस लड़की से सबसे बड़ा झूठ बोला, जिससे वह प्यार के बड़े-बड़े वादे कर चुका था। कई ख्वाब उन दोनों ने एक ही आंखों से देखे थे, लेकिन आज पता नहीं क्यों, उसके अंदर के जज्बात सूख गए थे और वह बंजर जमीं सा सख्त हो चुका था। उसे पता था कि इस झूठ के साथ सबकुछ खत्म हो जाएगा, इसके बावजूद उसने ऐसा किया।
गीत ने रोते हुए कहा- ‘‘मुझे मां का नंबर दीजिए। मैं उन्हें मना लूंगी। आप मुझे ऐसे नहीं छोड़ सकते।’’
इसका अमित पर कोई असर नहीं हुआ। वैसे भी उसने मां को गीत के बारे में कुछ नहीं बताया था, इसलिए वो उसकी बात उनसे नहीं करवा सकता था। रोती गीत को देने के लिए उसके पास सांत्वना के चंद बोल भी नहीं बचे थे। उसके पास अलावा खामोशी से फोन रखने के अलावा और कोई चारा नहीं था। सो उसने ऐसा ही किया। इसके बाद वो जब तक घर में रहा, उसने गीत का कोई भी फोन रिसीव नहीं किया। यहां तक कि लौटने के बाद भी गीत के चेहरे की मायूसी, उसकी रोई हुई सूनी आंखों को देखकर अमित का दिल नहीं पिघला। कुछ महीनों की कोशिश के बाद गीत शांत हो गई। उन दोनों के बीच अब एक दीवार खड़ी थी, खामोशी की ठंडी दीवार।
अचानक एक दिन अमित ने गीत को फिर खिलखिलाते हुए देखा, तो न जाने क्यों वो डर सा गया। इतने दिन उसे गीत से बिछड़ने का कोई गम नहीं था, पर अचानक गीत की मुस्कराहट ने उसे यह अहसास दिलाया कि वो उसे खो चुका है। अमित को पता चलते देर नहीं लगी कि गीत की खुशी का नाम उसका दोस्त दुष्यंत है और कोई नहीं। अब वो डर गया। उसने कई बार गीत से बात करने की कोशिश की ताकि उनके बीच सबकुछ पहले जैसा हो जाए, लेकिन अमित के धोखे से टूट चुकी गीत अब जिंदगी के रास्ते में आगे बढ़ चुकी थी। पीछे लौटना उसे गवारा नहीं था। उधर अमित भी हार मानने वाला नहीं था। मैसेजेÊा और मेल्स के जरिए उसने कई दफा गीत से माफी मांगी और एक बार मिलने की मिन्नतें की, ताकि वो अपनी बात उसके सामने रख सके। कई कोशिशों के बाद एक दिन.
अचानक एक एसएमएस ने उसे चौंका दिया। एक एसएमएस से उसे लगा कि सबकुछ उसने पा लिया है। अब सब ठीक हो जाएगा। एसएमएस गीत का था- न्यू मॉर्केट वाले कॉफी हाउस में आ जाइए।
वह तुरंत भागते हुए वहां पहुंचा।
कई महीनों बाद वो उसे इतने करीब से देख रहा था। दूर बैठी गीत को देखकर उसके कदम डगमगाने लगे। बड़ी मुश्किल से वो उस तक पहुंचा और लड़खड़ाती जुबान में हाय कहकर, सामने वाली कुर्सी पर माथा पकड़कर बैठ गया।
‘‘बोलिए क्या बात करनी है आपको मुझसे’’
‘‘क्या तुम मुझे माफ नहीं करोगी? ’’
‘‘मेरे माफ करने न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आपने ही सबकुछ खत्म किया है। अब मेहरबानी करके मुझे भूल जाइए।’’
‘‘नहीं भूल सकता हूं मैं। प्यार किया है तुमसे।’’
‘‘उस वक्त ये प्यार कहां गया था अमित, जब आप मां की पसंद की हुई लड़की से शादी करने जा रहे थे? अगर आज आपको यह नहीं पता चलता कि मेरी जिंदगी में कोई और है, तो शायद आप वापस भी नहीं लौटते। आपने जो मेरे साथ किया, उसके लिए मैं आपको कभी माफ नहीं करूंगी।’’
‘‘एक बात और. हमारे बीच जो भी हुआ, उसका दोष किसी और को देने की जरूरत नहीं है। दुष्यंत को अपनी जिंदगी में लाने का फैसला मेरा था। इसलिए उससे दूर रहें तो अच्छा होगा।’’
इस जवाब की उम्मीद अमित को नहीं थी। उसने अंजाने ही गीत को धमकी दे डाली, ‘‘शादी तो होगी तुमसे ही। भले ही उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। मैं अपने घरवालों को तुम्हारे यहां भेज रहा हूं। ’’
इतना कह अमित बाहर निकल गया। गीत अकेले बैठी आंसू बहाती रही। आज फिर अमित ने उसे रुला दिया।
अमित बाहर खुद को सिगरेट की आग में जलाता रहा और गीत अंदर बैठकर रोती रही। दोनों के रास्ते जुदा हो चुके थे। जिस मुलाकात के बाद दोनों को और करीब आना चाहिए था, उसी मुलाकात के बाद दूरियां और बढ़ गईं। वो भी जानता था कि घरवालों को गीत के यहां भेजने का कोई फायदा नहीं है। जो भी हुआ था, वो सिर्फ और सिर्फ उसकी गलती थी। अब वक्त को वापस मोड़ना नामुमकिन था।
‘‘आप कुछ और लेंगे सर?’’ वेटर की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी। सामने रखी कॉफी ठंडी हो चुकी थी। ठीक वैसे ही जैसे उसके और गीत के बीच एक ठंडापन पसर गया था। वो धीरे से उठा और कॉफी के पैसे टेबल पर रख, थके हुए कदमों से बाहर निकल गया।
नोट : इस कहानी को पाठकों की राय के अनुसार बदला भी जा सकता है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देकर इसे सुधारने में मदद करें। - लेखक
‘‘आप कुछ और लेंगे सर?’’ वेटर की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी। सामने रखी कॉफी ठंडी हो चुकी थी। ठीक वैसे ही जैसे उसके और गीत के बीच एक ठंडापन पसर गया था। वो धीरे से उठा और कॉफी के पैसे टेबल पर रख, थके हुए कदमों से बाहर निकल गया।
नोट : इस कहानी को पाठकों की राय के अनुसार बदला भी जा सकता है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देकर इसे सुधारने में मदद करें। - लेखक
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