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कई सालों बाद उगता सूरज देखा

कई सालों बाद उगता सूरज देखा
और देखी उसकी लालिमा
देखा एक नया जीवन
फिर भी अधूरा है जीवन

सूरज तो रोज उगता होगा
मैं नहीं देख पता होऊंगा
लेकिन भला हो उसका
जिसने मुझे ज़िंदगी की सच्चाई से कराया रूबरू

जीवन चलता तो है पर ज़िंदगी नहीं
वो जब साथ होता है तो जिंदगी होती है
लेकिन उससे दूर जाने पर जीवन,
जिंदगी में उल्लास होता है
जीवन में एक सन्नाटा

फिर भी एक आस हैं
क्योंकि अभी भी साँस है

Comments

जीवन चलता तो है पर ज़िंदगी नहीं
वो जब साथ होता है तो जिंदगी होती है

ज़िंदगी चलते रहने का ही नाम है, आशीष
mamta said…
शायद इसी को जीना कहते है।
बढिया रचना है।बधाई।
जीना इसी का नाम है..

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