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आईए सुमित का ब्‍लॉग की इस दुनिया में स्‍वागत करें

ब्‍लॉग की दुनिया में एक और शख्‍स ने कदम रख दिया है। नाम है सुमित सिंह। मूलत बिहार के रहने वाले सु‍मित इन दिनों मुंबई में जोश18 के साथ जुड़कर कार्य कर रहे हैं। सुमित एक युवा पत्रकार और मेरे दोस्‍त हैं। आप सभी लोगों से निवेदन है कि सुमित के ब्‍लॉग के साथ उसका भी इस ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत करें। सुमित के ब्‍लॉग का नाम है अपना अपना आसमां। इनके ब्‍लॉग का यूआरएल है http://apnaapnaasman.blogspot.com/

Comments

Salty Dog said…
Hello from France !

A realy nice blog : i like your pics in the gallery and also the music as Kiya Kiya - Ajab Si - Main Agar Kahoon.


Salty Dog from

http://songitude.blogspot.com/

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मै जरुर वापस आऊंगा

समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्‍हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस श‍हर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्‍थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्‍तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्‍छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्‍यार है। और किसी भी प्‍यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्‍टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्‍त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्‍त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा

मुंबई का कड़वा सच

मुंबई या‍नि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्‍वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्‍ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्‍त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्‍चे कुपो‍षित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्‍चे उन्‍हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम

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