मुंबई की लोकल ट्रेन का सफर अक्सर कष्ट्रदायी ही होता है लेकिन आज यह सुखद रहा। फ्री में जिस ट्रेन में मसाज होती हो वही मुंबई की लोकल है। लोकल जिसमें इंसानों की दशा किसी कत्लखाने जाती जानवरों की ट्रक से कम नहीं होती है, जिसमें इंसान जानवर से भी अधिक बुरी तरह ठूंसा रहता है। सुबह जब घर से निकला तो इस बात का पूरा अंदाजा था कि आज 8 बजे वाली लोकल छुटने वाली है। स्टेशन पर पहुंचा तो लोकल आती हुई दिख रही। मजबूरन मुझे रेल लाइन पार कर प्लेटफार्म दो पर जाना पड़ा। गाड़ी के साथ दौड़ते दौड़ते आखिर मैने ट्रेन पकड़ ही रही। भीड़ बाकी दिनों की तुलना में आज थोड़ी कम थी । गेट के बाजू में, जहां हमेशा मैं खड़ा रहता हूं, वहां जाकर अपने स्थान पर खड़ा हो गया। बसई रोड, नायगांव, भायंदर और फिर मीरा रोड़ आते आते साथ के लोग भी आ चुके थे और गाड़ी अब पूरी तरह पैक थी । कान में रेडियों बज रहा था और मैं हल्की झपकी लेते हुए सुन रहा था। दादर आया तो अचानक ग्रुप वालों ने स्टेशन पर ही चाय और वड़ा पाव खाने की इच्छा जता दी । बस फिर क्या था, हम सात आठ लोगों की मंडली वहीं वड़ा पाव और चाय पीने के बाद निकल पड़े अपने काम ओर। सब मिलाकर आज का सफर और दादर में नाश्ता जीवन के कुछ ऐसे पलों में से एक है जो कि चाह कर भी नहीं भुलाया जा सकता है।
लोकल ट्रेन बनाम शेयर मार्केट की हलचल
शेयर मार्केट बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है और कुछ लोग और अमीर बनते जा रहे हैं। सब मिलाकर मुंबई में स्थिति सुखद है और लोकल ट्रेन में भी इस बात का अहसास हो जाता है कि मार्केट में तेजी है। लोगों के मुस्कुराते चेहरे और बात बात में शर्त लगा लेना यहां की खासियत बन चुकी है। लेकिन जनाब जब बाजार टूटता है तो सबसे अधिक दयनीय दशा भायंदर के मारवाडियों और गुजरातियों की होता है । विश्वास नहीं है तो कभी विरार लोकल ट्रेन में सफर किजीए और खुद ही महसूस किजीए बाजार की गिरावट और गरमी को। मुंबई में सबसे अधिक मारवाड़ी भायंदर में रहते हैं।
मुंबई में गुलाबी ठंड
मुंबई की सुबह अब थोड़ी ठंडी हो गई है। लेकिन दिल्ली और जयपुर में तुलना की जाए तो यहां की ठंडक को गुलाबी ठंड कहना अधिक सही होगा। लेकिन यदि आप लोकल में सफर कर रहे हैं तो इस गुलाबी ठंडक के अहसास से आप वंचित ही रह जाएंगे। शहर में सुबह के वक्त और देर रात अलाव जलाकर टैक्सी वाले बार बार आप को इस बात का अहसास करा सकते हैं कि भईया ठंडक जारी है।
लोकल ट्रेन बनाम शेयर मार्केट की हलचल
शेयर मार्केट बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है और कुछ लोग और अमीर बनते जा रहे हैं। सब मिलाकर मुंबई में स्थिति सुखद है और लोकल ट्रेन में भी इस बात का अहसास हो जाता है कि मार्केट में तेजी है। लोगों के मुस्कुराते चेहरे और बात बात में शर्त लगा लेना यहां की खासियत बन चुकी है। लेकिन जनाब जब बाजार टूटता है तो सबसे अधिक दयनीय दशा भायंदर के मारवाडियों और गुजरातियों की होता है । विश्वास नहीं है तो कभी विरार लोकल ट्रेन में सफर किजीए और खुद ही महसूस किजीए बाजार की गिरावट और गरमी को। मुंबई में सबसे अधिक मारवाड़ी भायंदर में रहते हैं।
मुंबई में गुलाबी ठंड
मुंबई की सुबह अब थोड़ी ठंडी हो गई है। लेकिन दिल्ली और जयपुर में तुलना की जाए तो यहां की ठंडक को गुलाबी ठंड कहना अधिक सही होगा। लेकिन यदि आप लोकल में सफर कर रहे हैं तो इस गुलाबी ठंडक के अहसास से आप वंचित ही रह जाएंगे। शहर में सुबह के वक्त और देर रात अलाव जलाकर टैक्सी वाले बार बार आप को इस बात का अहसास करा सकते हैं कि भईया ठंडक जारी है।
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