कुछ दिनों से लगातार मन में एक अजीब सी उलझन चल रही थी....मुम्बई की इस भागदौड़ में समय निकल कर कुछ किताबे पढ़ा. इसमे हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा का पहला भाग क्या भूलूं क्या याद करूँ और कुछ कविताओं की छोटी छोटी कितबिया थी. इन सब को पढने के बाद एक कहानी लिखने का असफल प्रयास किया. लेकिन कहानी पूरी नहीं हो पाई. फिर कल रात में मैं एक कविता लिखा लेकिन शायद इसे कविता नहीं कहा जा सकता है. फिर भी कुछ लिखा है और उम्मीद करता हूँ कि आप सभी लोगों के मार्गदर्शन में बेहतर लिख सकता हूँ मैं....बस आप अपनी बहुमूल्य राय से अवगत कराते रहिये.. मेरी कहानी पढ़ने के लिए यहाँ और कविता के लिया यहाँ क्लिक कीजिये.
गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...
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