तुम्हें गए कई दिन हो गए
फिर भी कहीं आसपास ही लगती हो
आज भी तुमसे मिलकर
दिल की बात कहना चाहता हूं
फिर डर लगता है
कहीं तुम बुरा न मान जाओ
इसीलिए चुप रहता हूं
कभी हो तो ख्वाब में आना
दो चार दिल की बातें करेंगे
कभी हसेंगे तो कभी रोएंगे
मैंने तुम्हें चाहा है पागलों की तरह
फिर भी तुम बेवफा हो गए
तुम्हें गए कई दिन हो गए
फिर भी कहीं आसपास ही लगती हो
आज भी तुमसे मिलकर
दिल की बात कहना चाहता हूं
फिर डर लगता है
कहीं तुम बुरा न मान जाओ
इसीलिए चुप रहता हूं
कभी हो तो ख्वाब में आना
दो चार दिल की बातें करेंगे
कभी हसेंगे तो कभी रोएंगे
मैंने तुम्हें चाहा है पागलों की तरह
फिर भी तुम बेवफा हो गए
तुम्हें गए कई दिन हो गए
Comments
अरे वाह ! मन के भावों को कविता का रूप दे दिया तो मन की बात को इसी तरह उन तक पहुँचा भी दो नहीं तो अनुराधा जी का कहना कि ताउम्र पछताओगे.. दिल की बात कहने में देरी नहीं करनी चाहिए.