Skip to main content

शानदार लेकिन परेशान है मुंबई की महाकाली गुफा

मुंबई की नाम सुनते ही यदि आपके जेहन में एक ऐसे शहर की छवि उभर कर सामने आती है जो कि अमीरों का एक अत्‍याधुनिक शहर है तो एक बार और सोच लें। जी हां मुंबई में और इस शहर के आसपास कई ऐसे इलाके हैं जो आपकों हजारों साल पहले ले जा सकते हैं।

मैंने कभी सोचा नहीं था कि कंक्रीट के इस जंगल में मुझे इतनी शानदार गुफा मिलेगी। लेकिन मिली. जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ मुम्बई के अँधेरी उपनगर में स्थित महा काली गुफा की. चारों और कंक्रीट के जंगल और बीच में यह गुफा. अँधेरी पूर्व से करीब दो किलोमीटर दूर है महाकाली. यह वही गुफा है जिसने संघर्ष के दिनों में विश्‍व विख्‍यात लेखक और गीतकार जावेद अख्‍तर को जगह दी थी। कई रात अख्‍तर साहब ने यहीं बिताई है।


महाकाली गुफा के इतिहास की बात करें तो करीब यह दो हजार साल पुरानी बौद्व गुफा है। महाकाली गुफा के बीचोबीच एक शिव मन्दिर है। यहाँ एक विशाल शिवलिंग हैं। लम्बाई करीब आठ फीट। इस शिवलिंग पर मैंने कुछ स्थानीय लोगों को एक का सिक्का चिपकाते देखा. बातचीत में पता चला की कि यहाँ सिक्का चिपकाने से जो भी माँगा जाता हैं, वह मिल जाता हैं. इस मन्दिर के परिसर की दीवार पर कुछ देवी देवता के चित्र बने हुए थे। मन्दिर के दोनों और कई कमरे थे। शायद रहने के लिए कोई धर्मशाला होगी। गुफा के नीचे पानी का भंडार था। लेकिन लाख कोशिश के बाद भी पानी का स्त्रोत नहीं मिल पाया हमें। मन्दिर के बाहर एक दीवार पर एक नाग का बड़ा सा चित्र गुफा की दीवार पर था। शानदार गुफा है महाकाली। जोगेश्‍वरी विखरोली लिंक रोड के उदय गिरी नामक पहाड़ी पर स्थित यह गुफा इन दिनों स्‍थानीय वाशिंदों से परेशान है । गुफा के छत पर स्‍थानीय लोग धूप सेंकते मिल जाएं या पतंग उड़ाते तो कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। गुफा के अंदर लोग बीड़ी सिगरेट के साथ दारु पीते दिख सकते हैं।



महाकाली गुफा की और फोटो के लिए यहां क्लिक करें

Comments

Popular posts from this blog

मुंबई का कड़वा सच

मुंबई या‍नि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्‍वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्‍ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्‍त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्‍चे कुपो‍षित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्‍चे उन्‍हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम...

बेनामी जी आपके लिए

गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...

प्यार, मोहब्बत और वो

आप यकिन कीजिए मुझे प्यार हो गया है. दिक्कत बस इतनी सी है कि उनकी उमर मुझसे थोडी सी ज्यादा है. मैं २५ बरस का हूँ और उन्होंने ४५ वा बसंत पार किया है. पेशे से वो डाक्टर हैं. इसी शहर में रहती हैं. सोचता हूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार कर ही दूँ. लेकिन डर भी सता रहा है. यदि उन्होंने ना कर दिया तो. खैर यह उनका विशेषाधिकार भी है. उनसे पहली मुलाकात एक स्टोरी के चक्कर में हुई थी. शहर में किसी डाक्टर का कमेन्ट चाहिए था. सामने एक अस्पताल दिखा और धुस गया मैं अन्दर. बस वहीं उनसे पहली बार मुलाकात हुई. इसके बाद आए दिन मुलाकातें बढती गई. यकीं मानिये उनका साथ उनकी बातें मुझे शानदार लगती हैं. मैं उनसे मिलने का कोई बहाना नहीं छोड़ता हूँ. अब आप ही बताएं मैं क्या करूँ..