वो हर रोज सुबह के पहली पहल गंगा मईया के दर्शन को आती थी। सुंदर मुख, भरा हुआ शरीर और गहरी आंखों में बहुत कुछ खोया हुआ था उसकी। लेकिन इसके बावजूद वह सफेद साड़ी में लिपड़ी बस जिंदा लाश थी, जो इस शहर की एक धर्मशाला के एक अंधेरे कमरे में रह कर अपनी मौत का इंतजार करती रहती थी। पच्चीस साल की थी बिमला बस। रोजाना की तरह वह वहां उसका इंतजार कर रहा था लेकिन आज बिमला नहीं आई। माहौल में अजीब सी खामोशी थी। धर्मशाला के बाहर जब वह पहुंचा तो कुछ लोग एक लाश को बांधकर गंगा मईया के हवाले करने जा रहे थे। आज बिमला हमेशा के लिए गंगा मईया में जा रही थी। अब सिर्फ वह और गंगा मईया होंगी। मोहल्ले में चर्चा है कि बिमला ने खुदखुशी कर ली। अब वह उसे कभी नहीं देख पाएगा। वह उससे बात करना चाहता था लेकिन आज तक उसने केवल उसे देखा ही था, बात करने की कभी हिम्मत नहीं हुआ और अब तो वह हमेशा के लिए ही चली गई है।
कुछ दिनों बाद उस धर्मशाला में एक दूसरी विधवा आ गई।
कुछ दिनों बाद उस धर्मशाला में एक दूसरी विधवा आ गई।
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khair ise aur bhi gambheer banaya ja sakta tha..
toy&other