चलिए ब्लॉग की दुनिया में एक और ब्लॉग का स्वागत करने के लिए तैयार ही जाइये. जी हाँ...हमारी एक दोस्त भी अब ब्लॉग की दुनिया में कूद चुकी हैं और इसी के साथ ब्लॉग की दुनिया में एक और महिला का आगमन हो गया है. नियति मूलत बिहार के पटना की रहने वाली हैं. और इन दिनों जयपुर में एक दैनिक समाचार पत्र में कार्य कर रहीं हैं. उम्मीद हैं कि आप सभी लोग उसका स्वागत करेंगे. नियति और मैंने भोपाल से एक साथ पत्रकारिता की पढ़ाई की है..नियति का हिन्दी पर बहुत ही अच्छी पकड़ है. कम से कम मुझे नियति के ब्लॉग के माध्यम से कुछ न कुछ सिखने को ही मिलेगा. नियति स्वागत है आपका..बस लिखना जारी रखें..
समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस शहर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्यार है। और किसी भी प्यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा
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आशीष आपको भी धन्यवाद....
अतुल मैत्री