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एक अधूरी प्रेम कथा

शहर का पुराना चौक आज कुछ ज्यादा ही व्यस्त था। शहर की सभी मोटर गाडियाँ दिन में एक बार इधर से जरुर गुजरती थीं. आज भी गुजर रही थीं. पास में ही टाउन हाल का खाली भवन, जहाँ कभी कभी कोई भटकता हुआ राहगीर आ जाता है. इसी भवन में वो दोनों कुछ ऐसे फैसले ले रहे थे जो कि उनकी ज़िंदगी के साथ कई और लोगों का जीवन बदलने वाला था.

'मुझे नहीं पता कि मैं जो बोलने जा रहा हूँ उसके बाद तुम्हारा क्या रि-एक्शन होने वाला है। लेकिन यदि मैंने और कुछ दिनों यह बात अपने दिल में दबाई तो शायद मैं इसका बोझ सह नहीं सकूं. मैं जीना चाहता हूँ. एक भरपूर ज़िंदगी चाहता हूँ. मुझे पता कि मेरी बात सुनने के बाद या तो तुम यहाँ से उठकर चल दोगी या फिर मुझे कभी माफ़ नहीं करोगी. लेकिन मेरे लिए तुम्हारी खुशी के संग अपनी खुशी भी चाहिए.'

'अब तुम बोलोगे क्या हुआ है तुम्हे?'
' कुछ नहीं'
'फिर मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? अब जल्दी बोल दो'
'तुम नाराज़ तो नहीं होगी?'
' अरे नहीं महाराज जी' उसने हँसते हुए कहा।
' मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूँ'

उसे कुछ नहीं कहा। अब दोनों खामोश थे। पूरा माहौल अजीब सा हो गया था. सूरज धीरे धीरे बादलों के पीछे जाने की तैयारी कर रहा था। शायद उसे भी यही सुनना था.

सन्नाटा........इस सन्नाटे को एक प्यारी लेकिन गंभीर आवाज़ तोड़ती है।

' तुम्हें पता है कि मैं चाह कर भी तुमसे प्यार नहीं कर सकती हूँ। तुम मेरे एक अच्छे दोस्त हो। इससे अधिक कुछ नहीं।'
'लेकिन क्यों नहीं? तुम मुझसे क्यों नहीं प्यार कर सकती हो? मैं जीना चाहता हूँ। तुम्हारे साथ।'
'यह सम्भव नही हैं'
'क्यों ?'
'तुम्हे अच्छी तरह पता है कि क्यों? फिर भी यदि तुम मेरे मुंह से सुनना चाहते तो सुनो। मैं उसे प्यार करती हूँ और हम दोनों ने एक साथ कुछ सपने देखे हैं।'

' मुझे पता है। लेकिन यदि मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो इसमे मेरी क्या गलती हैं?
' मैं जा रही हूँ।'

माहौल में फिर वही सन्नाटा.......

अगले दिन जल्दी सुबह, सूरज उगने के साथ ही टाउन हाल के खाली भवन के बाहर लोगों क हुजूम उमड़ पड़ा था। किसी ने टाउन हाल की छत से कूद कर अपनी जान दे दी थी।

Comments

Pankaj Bharati said…
गुरु ये तो तुम्हारी ही कहानी लगती है ......
Anita kumar said…
आदमी को व्यव्हारिक रहना चाहिए, दिल की राहों पर आगे बढ़ने से पहले साफ़ साफ़ पूछ लेना चाहिए कि आग दोनों तरफ़ बराबर है या नहीं , नही तो ऐसे मामलों में जो जान देता है बवकूफ़ भी कहलाता है उसी से जिसके लिए जान देता है। दुनिया में एक ही रिशता नहीं होता। कोई भी कदम उठाने से पहले बंदे को ये सोच लेना चाहिए
बढ़िया चित्रण किया है भाई!!
ऐसा बहुत होता है हमारे आसपास!!
लगता है कि किसी खास के बिना ज़िंदगी व्यर्थ है और वह खास आपकी ज़िंदगी में आने से इनकार कर देती है तो फ़िर सब खत्म सा लगता है, लगता है कि उसके बिना यह जीवन फ़ालतू है क्यों न इसे खत्म कर दिया जाए!! बस यही वह पल होता है जहां पर दिल और दिमाग की बात आती है, दिल अगर हावी हुआ तो जिंदगी खत्म और दिमाग हावी हुआ तो टूटे दिल के साथ चलती ही है जिंदगी!! शायद इसे ही हम प्रेक्टिकल होना कहते हैं!!
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िन्दगी के लिए !!!
guru ye dunia aisi hi hai..isliye sachhe doston ko pahchano aur savdhani se kam karo..vaise har kisi ke jivan mein ek adhuri prem kahani hoti hai...shayad tum jante ho.
घिसीपिटी कहानी है....इसमें नया क्या है.....मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम नहीं करती हो तो जान दे दूंगा....
कई बार वह मान जाती है तो
जान नहीं जाती है
कई बार नहीं मानती है तो
जान दे दी जाती है
कई बार नहीं माती है तो
उसकी जान ले ली जाती है
कई बार वह मान जाती है तो
यूज करने के बाद छोड़ दी जात है
कई बार नहीं मानती है तो मनाने के लिए ढेरों नाटक किया जाता है...
....कई लाख मोड़े हैं, पेंच हैं और फच्चर है प्रेम और तथाकथित प्रेम में....

.....लेखक या कवि कहना क्या चाह रहा है, समझ में नहीं आ रहा है, जबकि वह पत्रकार है और नए पेंच और नए एंगिल निकालना जानता हो....
जो भी हो,,,कहानी कहने की शुरुआत करना ही स्वागतयोग्य भर है..
यशवंत सिंह
कहानी पढ़कर कहीं भी नहीं लगा कि उसमें कुछ नयापन है। तुमने नया तो कुछ नहीं लिखा है। कहानी में अगर विषय पुराने हैं तो उसका प्रस्‍तुतिकरण नया होना चाहिए। तुम कोई भी विषय चुनो चाहे वह कितना सामान्‍य क्‍यों ना हो कोशिश करो कि उसमें नए रंग भर सको। लिखने से पहले यह भी सोचना चाहिए कि उसे कौन सी उम्र या कहो वर्ग के लोग पढ़ेगे, उसको केंद्र में रखो। जैसे जब वी मेट क्‍या है, कहानी तो वही घिसी-पिटी है लेकिन उसको ऐसे प्रस्‍तुत किया गया है कि लोग ओम शांति ओम और सावरिया छोड़कर उसको देख रहे हैं। ये कमाल प्रस्‍तुति का ही है। तुम्‍हारी कहानी ऐसी हो जो लोगों को बाँध सके,

Nihu

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