
दूसरी ओर, आज न जाने क्यों अमित का मन अपने ऑफिस में नहीं लग रहा था और उसने कॉफी हाऊस की ओर ही जाना बेहतर समझा। ऑफिस से निकलते हुए आज कई सालों बाद वो पुरानी बातें याद आ रही थी कि अब उसके दिमाग में पहली बार इस कॉफी हाऊस को बनाने का प्लान दिमाग में आया था। गाड़ी बड़ी तेजी से कॉफी हाऊस जाने वाली सड़क पर दौड़ रही थी और अमित का दिमाग कई साल पहले जा रहा था। बात उस समय की है जब वो पहले बार एक चैनल में काम करता था और वहीं उसकी मुलाकात परुनिशा से हुई थी। मुलाकात पहले मोहब्बत में बदली और फिर मोहब्बत शादी में लेकिन शादी के बाद दोनों में गलतफहमिया बढ़ती गई और दूरियां भी। लेकिन अमित चाहकर भी उसे भूल नहीं पाया था। बस उसी के नाम पर उसने गुलाबी नगर में यह कॉफी हाउस खोला।
सड़क पर भीड़ बढ़ती जा रही थी और अचानक एक जोरदार धमाका। चारों ओर खून ही खून। अमित की गाड़ी का एक्सीडेंट हो चुका था। तमाशाबीन खड़े होकर उसके मरने का इंतजार कर रहे थे लेकिन भीड में एक नौजवान युवक निकलकर अमित को किसी तरह अस्पताल पहुंचा देता है। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
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अनूप