
इसी तरह मुंबई की जुहू चौपाटी भी प्रेमियों के अलावा पर्यटकों का ध्यान बरबस्त अपनी ओर खींचती है। यहां भी प्रेमियों के प्रेम का गवाह अरब महासागर होता है। कपल्स सागर की कसम खाते हुए किसी न किसी कोने में बैठे अपने प्यार में मसगूल दिख ही जाएंगे। जब पहली बार इस स्थान पर जाना हुआ तो यह मुझे प्रेमियों का स्वर्ग नजर आ रहा था। सूरज धीरे धीरे अस्त होने वाला था और सागर की लहरें पूरे शबाब पर थी। लेकिन इन सबसे बेपरवाह प्रेमी जोड़े बस मन में कुछ हसरते पाले एक दूसरे की आंखों में डाले हसीन ख्वाब देख रहे थे। प्रेम डूबे जोड़ो के लिए जुहू चौपाटी पर मिलने वाली भेल पूड़ी का एक अलग क्रेज है। सागर किनारे अपने अपने प्यार के साथ नंगे पांव घूमते हुए भेलपूड़ी खाते जोड़ों को देखकर बस मन में एक ही ख्याल आता है कि मुंबई की भागमभाग की जिंदगी में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए आज भी प्यार सभी चीजों व बातों से सर्वोपरि है। जुहू चौपाटी हो या शहर के अन्य समुंद्र किनारे के तट हर जगह हर राज प्रेमियों का रंग नजर आता है। लेकिन 14 फरवरी यानि वैलेंटाइन डे के दिन यह रंग सबसे अधिक गहरा हो जाता है। आखिर हो भी क्यों नहीं। लेकिन कुछ ऐसे युवा भी होते हैं जो जुहू से लेकर नरीमन प्वाइंट तक उन दिनों को याद करने के लिए आते हैं जो उन्होंने उनके साथ गुजारे थे जो कभी उनके लिए सबकुछ थे। जी जनाब हम बात कर रहे हैं इश्क में धोखा खाए लोगों की। यदि मुंबई की चौपाटी पर आपको कोई अकेले, गुमशुदा सा युवा सागर की लहरों को उदास आंखों से निहारता दिख जाए तो समझ लिजिए की उसने भी कभी यहां बहुत खूबसूरत दिन गुजार थे।
इसी तरह का नजारा हर रोज नरीमन प्वांइट पर तो आम है। दुनियादारी से बेखबर लोगों की एक अलग जमात नरीमन प्वांइट पर दिख जाती है । यहां भी बैंड स्टैंड और चौपाटी जैसा नजारा रहता है। सुबह के वक्त जहां नरीमन प्वांइट पर स्थानीय लोगों को जागिंग करते देखा जा सकता है लेकिन शाम शाम होते यह स्थान पूरी तरह प्यार के रंग में डूब जाता है। मुंबई आकर यदि आप यहां नहीं आए तो आपका आना बेकार है। कई हिंदी फिल्मों का गवाह बने नरीमन प्वांइट के फुटपाथ को खासतौर पर अब पयर्टकों के लिए तैयार किया गया है। पयर्टकों में भी खासतौर पर या तो नवविवाहित जोड़े या फिर वो कपल्स जो प्यार के बंधन में बंध चुके हैं। प्रेमियों को यहां एक दूसरे के की गोद में सिर रखकर जो सकून मिलता है, वो मुंबई की भीड़भाड में इस बात का अहसास कराता है कि मुंबई सिर्फ देश की आर्थिक राजधानी नहीं बल्कि प्यार करने वालो का स्वर्ग भी है। प्रेमियों के सकून और हसीन पल का पूरा फायदा यहां वो लोग उठाते हैं जो फुटपाथ पर खाने पीने की चीज से लेकर मेहंदी तक लगाते हैं। ये दुकानदार खासतौर पर उन युवाओं की मानसिकता को बड़ी अच्छी तरह समझते हैं जो अपनी प्रेमिका के सामने कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते हैं। तभी तो कभी चाय कॉफी वाले तो कभी भेलपूड़ी वाले आकर इन कपल्स के प्यार में अपने पेट भरने का रास्ता निकाल लेते हैं। और इसका खामियाजा बेचारे सकून की तलाश में आए युगलों को उठाना पड़ता है। कभी कभी तो कुछ बेचारे लड़के कुछ न कुछ खरीदकर उन्हें भगा देते हैं और कभी कभी इतना झुंझला जाते हैं कि उनकी शक्ल देखकर वो छोटे दुकानदार कन्नी काटने में ही अपनी भलाई समझते हैं। लेकिन एक जगह से कन्नी काटने के बाद ये दुकानदार दूसरे शिकार की तलाश में निकल जाते हैं और कुछ ही घंटे की मेहनत में प्रेमियों की जेब से इतना माल तो निकलवा ही लेते हैं कि अपना और अपने परिवार के लोगो का पेट भर सकते हैं।
मुंबई के सैकड़ों रेलवे स्टेशन भी हर रोज अनगिनत प्रेमियों के प्रेम के गवाह बनते हैं। चर्च गेट से लेकर बोरीवली तक के प्लेटफार्म पर खाली पड़ी चेयर पर लोग बेधड़क हो कर अपने लिए हसीन सपने बुनते हैं। इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कौन आ रहा है और कौन नहीं। ये तो बस एक दूसरे की आंखों में आंख डालकर किसी और दुनिया में मशगूल रहते हैं। जब मैं पहली बार इस शहर में कदम रखा था तो यह सब मेरे लिए किसी अजूबे से कम नहीं था। क्योंकि मैं जिस शहर से आता हूं वहां खुल्लमखुला प्यार आज भी किसी अपराध से कम नहीं है। लेकिन मुंबई में ऐसा कुछ नहीं है। दोपहर में खाली दौड़ती लोकल भी प्रेमियों के लिए एक सबसे आरामदायक स्थान हैं। जब पूरा शहर अपने अपने कामों में मशगूल होता है तो स्कूल कालेज के युवाओं को यही लोकल सबसे अधिक भाती है। मुंबई में प्रेमियों में प्रेमियों के लिए कई ऐसे स्थान हैं कि यदि उनके बारें में लिखना शुरु किया तो फेहरिस्त काफी लंबी हो जाएगी। मुंबई का संजय गांधी नेशनल पार्क हो या फिर एलिफेंटा की आदि गुफाएं। गेट वे ऑफ इंडिया के सामने के होटल ताज से लेकर रेडियो क्लब तक की सड़क प्रेमियों की सड़क नजर आती है। ऐसे ही गिरगांव चौपाटी हो या फिर भीड भाड़ वाले रेस्टोरेंट। यह सब प्रेमियों की लिस्ट में शामिल है। लेकिन सबसे शानदार यदि कुछ हो सकता है तो वो है, गेट वे ऑफ इंडिया से एक पूरी बोट रिजर्व कराई जाए और अपने वैलेंटाइन के साथ एक खूबसूरत शाम उस बोट पर बिताई जाए। जहां आपके खूबसूरत और पाक मोहब्बत का गवाह दूर दूर तक फैला सागर या फिर आसमान से आपके प्रेम ताकता चांद। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी जो रंग में भंग डालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। इनमें शिवसेना से लेकर वो लोग तक होते हैं जो सुनसान स्थानों पर जोड़ों को देखकर न सिर्फ उन्हें लूटने का प्रयास करते हैं बल्कि कई बार लड़कियों के साथ बदसलूकी पर भी उतर आते हैं। ऐसे में कहीं प्यार के इस पर्व के रंग में भंग न पड़ जाए, मुंबईकर सुनसान स्थानों पर जाने से बचते हैं।
वैलेंटाइन डे की बात हो और फूलों की बात नहीं हो। यह कैसे हो सकता है। फरवरी महीने में अचानक मुंबई की सड़कों के किनारे अनगिनत फूलों की दुकाने खुल जाती हैं। वैसे इन दुकानों में सभी फूल मिल जाते हैं लेकिन प्रेम का प्रतीक लाल गुलाब का अलग ही जलवा देखने को मिलता है। सामान्य दिनों में जो गुलाब पांच रुपए का मिलता है वो इस खास दिन में बढ़कर 20 से 25 रुपए हो जाता है। हांलाकि प्रेमियों के लिए पैसों का कोई महत्व नहीं होता है। लेकिन कुछ के लिए यह थोड़ा महंगा है। ऐसे में कुछ अपने प्यार को देने के लिए एक ही गुलाब से काम चला लेते हैं । जिनकी जेब में गरमी है वो पूरा का पूरा गुलदस्ता लाल गुलाब से बनवा कर खुद गुलाब की लाल हो जाते हैं।
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