कल राजीव और नीलिमा जी अलावा कई पुराने और नए पत्रकार साथियों से मुलाक़ात हुई तो लगा कि वाकई घर आना सार्थक हो गया है वर्ना मुम्बई में तो बस घर से दफ्तर और दफ्तर से घर. लेकिन जयपुर में ऐसा नहीं है, यहाँ मेरी अपनी लाईफ है जो कि मुम्बई मे नही है. मुम्बई से निकलते वक़्त ही राजीव भाई और नीलिमा जी को जानकारी दे दी थी कि मैं आ रह हूँ तो क्यों नहीं एक जगह बैठकर थोडा गप मर लेते हैं हैं? ब्लॉगर्स मीट बस उसी का नतीजा है.
जयपुर के जवाहर कला केंद्र में जहाँ एक और शास्त्रीय संगीत का कार्यकम चल रहा था तो दूसरी और राजीव भाई, नीलिमा जी, राजस्थान पत्रिका और हिंदुस्तान टाइम के कई पत्रकार साथियों के साथ हम लोगों कि गपशप चल रही थी. या राजीव भाई और कुछ हद तक मैं अपने शब्दों में भी कहूँ तो पिंकसिटी की पहली आफिशियल ब्लॉगर्स मीट। सही कहा ना राजीव भाई?
इस मीट में सबसे अच्छा जो एक सुझाव जो आया वो यह था कि हम सब एक दुसरे के ब्लाग का लिंक दें. ताकि हमारी नेट वर्किंग मजबूत बन सके. वहीँ नीलिमा जी से कैरियर को लेकर कुछ ऐसे सुझाव मिले जो कि मेरे जैसे नए पत्रकारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. कुछ बातें मैने कही तो कुछ बातें राजीव भाई, नीलिमा जी और अन्य कई साथियों से कही.
एक शानदार शाम रही हम सब के लिए. कई साल बाद जवाहर कला केंद्र में मैने ऐसी शाम बिताई है. वर्ना पहले हर रोज दोस्तो के साथ यहाँ आना और फिर जम कर बतियाना सब जयपुर छोड़ने के साथ छूट गया था.खैर फिर मुद्दे पर आया जाये. नीलिमा जी और राजीव भाई ने मुझे अपने शहर में ही मेहमान बनाकर जो मेहमान नवाजी कि..उसे तो भुलाया ही नहीं जा सकता है, वैसे भी हम राजस्थानियों का मेहमान नवाजी में को सानी नहीं है,. मजा आ गया कल शाम का.
तीन संख्या में आये बिल का भुगतान को नीलिमा जी ने किया और बाद का बिल का भुगतान राजीव भाई कि जेब से गया। शाम के छह बजे मिलने मिलाने का जो सिलसिला चला था वो रात के बारह बजे तक चलता रहा. नीलिमा जी के जाने के साथ आफिशियल ब्लॉगर्स मीट तो खत्म हो गई लेकिन हमारे और राजीव भाई के अलावा अनिल और वीर सेन जी काफी देर तक जवाहर कला केंद्र का चक्कर काटते रहे.अन्त में राजीव और वीर सेन को भी जाना पड़ा तो अंत में मैं और अनिल अकेले काफी देर तक बतियाते रहे. अनिल को मालवीय नगर छोड़कर मैं अपने घर कि और मुड़ गया॥और रास्ते भर मन ही मन उन सभी लोगों को इस शानदार शाम के लिए शुक्रिया करता रहा जो कि इस मीट मे और उसके बाद आये. राजीव जी और नीलिमा जी कुछ बातें यदि छूट गई हो तो आप लोगों इसमे जोड़ दिजीयेगा.
इस पर और कुछ पढ़ने के लिया बोल हल्ला और यहाँ पर क्लिक करें.
जयपुर के जवाहर कला केंद्र में जहाँ एक और शास्त्रीय संगीत का कार्यकम चल रहा था तो दूसरी और राजीव भाई, नीलिमा जी, राजस्थान पत्रिका और हिंदुस्तान टाइम के कई पत्रकार साथियों के साथ हम लोगों कि गपशप चल रही थी. या राजीव भाई और कुछ हद तक मैं अपने शब्दों में भी कहूँ तो पिंकसिटी की पहली आफिशियल ब्लॉगर्स मीट। सही कहा ना राजीव भाई?
इस मीट में सबसे अच्छा जो एक सुझाव जो आया वो यह था कि हम सब एक दुसरे के ब्लाग का लिंक दें. ताकि हमारी नेट वर्किंग मजबूत बन सके. वहीँ नीलिमा जी से कैरियर को लेकर कुछ ऐसे सुझाव मिले जो कि मेरे जैसे नए पत्रकारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. कुछ बातें मैने कही तो कुछ बातें राजीव भाई, नीलिमा जी और अन्य कई साथियों से कही.
एक शानदार शाम रही हम सब के लिए. कई साल बाद जवाहर कला केंद्र में मैने ऐसी शाम बिताई है. वर्ना पहले हर रोज दोस्तो के साथ यहाँ आना और फिर जम कर बतियाना सब जयपुर छोड़ने के साथ छूट गया था.खैर फिर मुद्दे पर आया जाये. नीलिमा जी और राजीव भाई ने मुझे अपने शहर में ही मेहमान बनाकर जो मेहमान नवाजी कि..उसे तो भुलाया ही नहीं जा सकता है, वैसे भी हम राजस्थानियों का मेहमान नवाजी में को सानी नहीं है,. मजा आ गया कल शाम का.
तीन संख्या में आये बिल का भुगतान को नीलिमा जी ने किया और बाद का बिल का भुगतान राजीव भाई कि जेब से गया। शाम के छह बजे मिलने मिलाने का जो सिलसिला चला था वो रात के बारह बजे तक चलता रहा. नीलिमा जी के जाने के साथ आफिशियल ब्लॉगर्स मीट तो खत्म हो गई लेकिन हमारे और राजीव भाई के अलावा अनिल और वीर सेन जी काफी देर तक जवाहर कला केंद्र का चक्कर काटते रहे.अन्त में राजीव और वीर सेन को भी जाना पड़ा तो अंत में मैं और अनिल अकेले काफी देर तक बतियाते रहे. अनिल को मालवीय नगर छोड़कर मैं अपने घर कि और मुड़ गया॥और रास्ते भर मन ही मन उन सभी लोगों को इस शानदार शाम के लिए शुक्रिया करता रहा जो कि इस मीट मे और उसके बाद आये. राजीव जी और नीलिमा जी कुछ बातें यदि छूट गई हो तो आप लोगों इसमे जोड़ दिजीयेगा.
इस पर और कुछ पढ़ने के लिया बोल हल्ला और यहाँ पर क्लिक करें.
Comments
पर इतनी मेहमाननवाजी भी नहीं की जितनी तुमने लिख दी है।