मैं कौन हूँ मुझे नहीं पता
कोई तो मुझे मेरी पहचान बता दो
दर दर ठोकरें खाते हुए अब मैं तुम्हारे सामने हूँ
लेकिन यह क्या
तुम भी मेरी तरह बिना पहचान के हो
आह! मैं फिर ग़लत राहों पर हूँ
जहाँ से चला था, वहीं आ गया हूँ
आखिर क्यों भटक रहा हूँ
मैं अपनी पहचान के लिए
कौन सी पहचान ?
जो मुझे तुम दोगे नहीं
मुझे नहीं चाहिए अपनी पहचान
हाँ मुझे नहीं चाहिए अपनी पहचान
हाँ मैं किसी एक पहचान में
नहीं बंधना चाहता हूँ
जैसे तुम बंध चुके हो.
कोई तो मुझे मेरी पहचान बता दो
दर दर ठोकरें खाते हुए अब मैं तुम्हारे सामने हूँ
लेकिन यह क्या
तुम भी मेरी तरह बिना पहचान के हो
आह! मैं फिर ग़लत राहों पर हूँ
जहाँ से चला था, वहीं आ गया हूँ
आखिर क्यों भटक रहा हूँ
मैं अपनी पहचान के लिए
कौन सी पहचान ?
जो मुझे तुम दोगे नहीं
मुझे नहीं चाहिए अपनी पहचान
हाँ मुझे नहीं चाहिए अपनी पहचान
हाँ मैं किसी एक पहचान में
नहीं बंधना चाहता हूँ
जैसे तुम बंध चुके हो.
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