मैने अंतत: अपने एक साल पुराने सेल फोन से छुटकारा पा ही लिया। नोकिया ६०७० अब मेरे पास नहीं है और इसी के साथ सबसे अधिक राहत मेरे ऑफिस की लड़कियों को मिली है। सही है न अब मेरे सेल फोन से उनको कोई डर नहीं है। मेरे नए सेल फोन में अब न तो कैमरा है और न म्यूजिक प्लेयर। मेरा नया सेल का मॉडल न 6030 है। पुराने वाले सेल को मैने अपने ही मोहल्ले के एक बंदे को बेच कर गंगा नहा लिया।
मुंबई की गरमी

उत्तर भारत जहां कड़ाके की ठंड से बेहाल है, जबकि मेरा जैसे आम उत्तर भारतीय मुंबई की गरमी से। हालांकि सुबह थोड़ी सी ठंड लगती है लेकिन पंखा पिछले दो सालों से बंद नहीं हो पाया है। लोकल में चढ़ने के बाद सुबह की यह ठंड गरमी में बदल कर पूरे शरीर को पसीने से तर बदर कर देती है। लेकिन कोई उपाय नहीं है। जब तक मुंबई में हैं तब है इस लोकल ट्रेन और यहां के सुहावने मौसम से छुटकारा नहीं मिल सकता।

कल ऑफिस में क्रिसमस की पार्टी है। कहा गया है कि सबको लाल कपड़े पहन कर आना है ताकि क्रिसमस के रंग में रंगा जाए। तो ऐसे में मुझे घर पर ही रहना अधिक बेहतर लग रहा। लाल कपड़े देखकर कहीं सांड पीछे पड़ गया। वैसे भी मुंबई में इंसानी सांडों की कमी थोड़े ही है। आप क्या चाहते है मै भी लाल रंग में रंग जाऊं।
Comments
जिस शहर में रहना है वहां के मुताबिक खुद को ढालना ही होगा न।
लाल पहन लो और गाते चलो लाली देखन जो गई मै लाल की……
बाकि आपके दफ्तर की सभी कोमल कुंवारी कलियों को बधाईयाँ. फोकट का सर दर्द हटा. मुम्बई की तस्वीर कमाल की है. एक ही झलक में सब कुछ दिखा दिया. वाकई में यहाँ साल भर भीड़ का ही मौसम रहता है. पर आपको पहचान नहीं पा रहा हूँ.. आप बाहर लटके थे या अन्दर जगह मिल गई थी?
लाल कपड़ा तो भूल कर भी मत पहनियेगा. अभी पिछले साल ही एक सांड से टक्कर हो गई थी.
वैसे हमारे केस मे तो सांड अभी तक अस्पताल मे ही है. लेकिन आप जरा सावधानी बरतें.
लड़कियों की बात आते ही देखिये पुनीत की कलम से क्या अनुप्रास अलंकार युक्त टिपण्णी निकली है.
आपने तो अपने ब्लॉग को ही लाल बना रखा है । एक लाल रूमाल ले लीजिये , या लाल टाई , पार्टी से पहले जेब में रखियेगा ।
घुघूती बासूती