वो मिले और कुछ पल साथ गुजारे। लेकिन वो दोनों एक ऐसे मोड़ पर जुदा हुए, जहां से न उसने मुड़ कर देखा और न देखने की कोशिश भी की। लेकिन एक वो था जो बार बार उस मोड़ से मुड़कर उसे जाता हुआ देख रहा था। उसके दिल में आया उसे वो रोके लेकिन उसे पता था कि वो नहीं रूकेगी। आंखों के साथ दिल भी भर आया था उसे जाता देखकर। कुछ नहीं कर पाया वो और वो चली जा रही थी और चली गई। ऐसा न जाने कितनी बार हुआ है कि सर्द मौसम से लेकर तपतपाती गर्मी में उसे कितने लोगों ने ऐसे ही मोड़ पर छोड़ कर गए हैं। और वो बार बार उस मोड़ पर उनका इंतजार करता है। लेकिन इस बार उसे कुछ अधिक ही तकलीफ हो रही थी। उसके जाने के साथ एक बार फिर वो अकेला हो गया था। दिल में कई अधूरी हसरते पाले वो इस शहर में आया था लेकिन हसरतें फिर अधूरी ही रहीं। उसने सोचा था, उससे मिलेगा तो दिल की सब बात जुबां पर रख देगा लेकिन उसके सामने आते ही वो उसकी गहरी आंखों में डूबता गया और जब तक संभलता, काफी देर हो चुकी थी। वो उस मोड़ पर उसे आगे अकेला जाने के लिए छोड़कर चली गई थी।
समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस शहर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्यार है। और किसी भी प्यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा
Comments
जो दिन गुजर गये उन्हें गिना नहीं करते।
वो नही मिला तो मलाल क्या , जो गुजर गया सो गुजर गया ।
उसे याद करके ना दिल दुखा ,जो गुजर गया सो गुजर गया ।
ना गिला किया ना ख़फा हुए , युँ ही रास्ते में जुदा हुए ,
ना तू बेवफा ना मैं बेवफा , जो गुजर गया सो गुजर गया ।
तुझे एतबारों-य़कीन नहीं , नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं ,
ना मलाल कर , मेरे साथ आ, जो गुजर गया सो गुजर गया ।
वो वफाऐं थी ,या ज़फाऐं थी , ये ना सोच किस की खंताऐ थी ,
वो तेरा हैं , उसको गले लगा , जो गुजर गया सो गुजर गया ।
वैसे आपका लिखा पसंद आया..