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बेटी का जन्‍मदिन

उसके चले जाने के बाद मैं थोड़ा निराश था। मुझे इस बात का सपने में भी कभी ख्‍याल नहीं आया कि वो ऐसे अचानक मुझे छोड़कर चली जाएगी। शादी के केवल चार साल ही तो हुए थे। लेकिन वो मुझे और हमारी दो साल की बच्‍ची को हमेशा के लिए छोड़कर जा चुकी थी। बहुत तनाव और पीड़ा के दिन थे वो। शुरुआत में मुझे लगा कि वो वापस आ जाएगी। दूसरे पतियों की तरह मैं भी पत्नियों को अपनी जायदाद समझता था। बात सिर्फ जायदाद तक सीमित नहीं थी। मैंने उसका विश्‍वास भी तोड़ा था। शादी के बाद भी मेरा परुनिशा से मिलना जारी रहा। जिसकी भनक मिलते ही वो मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चली गई। मैने कई बार उससे बात भी करनी चाही लेकिन कोई फायदा नहीं। वो बहुत नाराज थी। उसके जाने के बाद मैने भी परुनिशा से मिलना छोड़ दिया और परुनिशा ने भी कहीं और निकाह कर लिया था। अब मैं बिल्‍कुल तन्‍हा और अकेला था। मेरे पास अब सिर्फ मेरी बेटी थी। जिसे मुझे पालना था। मेरी बेटी एकदम अपनी मां पर गई थी। वैसे ही नाक नक्‍शे, वहीं आंखे और वैसे ही मुस्‍कुराना।

आज मेरी बेटी के साथ मेरी बीवी का भी जन्‍मदिन है। मेरी बेटी आज पंद्रह साल की हो गई है। देर तक सोने वाला मैं आज सबसे पहले उठ कर उसके जन्‍मदिन की तैयारी में जुट गया था। पूरे घर को ताजे फूलों से सजा गया था। मेरी बेटी का उपहार उसके बिस्‍तर के किनारे उसके जगने का इंतजार कर रहा था। जब वो सोकर उठी तो सबसे पहले उसकी नजर अपने पास खड़े अपने पापा पर पड़ी यानि मुझ पर। वो बहुत खुश थी। ताजगी से भरी उसकी मुस्‍कान और प्‍यार से गुड मार्निंग, सब कुछ उसकी मां जैसा था। आज वो होती तो कितनी खुश होती। लेकिन वो नहीं थी। वो बहुत पहले ही हम दोनों को छोड़कर चली गई थी।

Comments

बेटी को जन्‍मदिन की शुभकामनाएं।
ghughutibasuti said…
अच्छा लिखा है । 'उसके चले जाने के बाद मैं थोड़ा निराश था।' पढ़कर कुछ विचित्र सा भी लगा और मुस्करा भी पड़ी । यदि यही बात एक स्त्री लिखती तो यूँ ना लिखती । वह लिखती , 'I was devastated !' या यूँ ही कुछ ।
घुघूती बासूती
बच्ची को जन्मदिन पर मेरी ओर से भी ढेरों बधाई
Anita kumar said…
क्या ये सच्चाई है या सिर्फ़ एक कहानी, मै तो तुमसे मिल चुकी हूँ तुम किसी भी तरह 15 साल की बेटी के बाप नहीं लगते। खैर अगर सच है तो बेटी को जन्मदिन की बधाई। पत्नी जी की क्या खबर है, वो कहां है आज कल और किस हाल में
mamta said…
लो भाई आपने तो सबको असमंजस मे डाल दिया।ये कहानी है या हकीकत। इस पर से परदा उठाया जाए।

बेटी को जन्मदिन मुबारक।
यह तो बस कहानी है, जो कि आज ही दिमाग में आई और लिख दी
PD said…
लिखते रहो..
सभी को एक साथ फ़रवरी फ़ूल बना दिये.. :D
बढ़िया लिखा है!!
मुझे नहीं पता था कि तुम इतने कल्‍पनाशील हो

अब

इससे पहले की कहानी से भी तो परिचित कराओ
आशीष भाई। कहानी पहले अधूरी थी। इतनी सारी टिप्पणियों के बाद जा कर कहानी बनी है। किसी ने पोस्ट के नीचे लिखा 'कहानी' पढ़ा ही नहीं।
कथा विधा आजमाने के लिये बधाई।
Anonymous said…
OMG! I thought its a true life story...and I was very much sad about daughter coz I thought she must be missing her mom, but after reading others comment got to know that its just a story....nice story and very well written!

rgds,
www.rewa.wordpress.com
Udan Tashtari said…
आशीष,

इसी को तो उम्दा लेखन कहते हैं...तुमको मालूम था क्या??

:)

लिखते रहो...तुम्हें पढ़ना हमेशा सुखकर रहता है. वरना तो देख ही रहे हो अपनी बिरादरी को...बहुत दुख होता हो...ऐसे ही बने रहो, भाई..मेरी शुभकामना और बड़ा होने की वजह से आशीष...जरा मौका लगे तो फोन ईमेल करना...तुमसे बात करने का दिल है...sameer.lal@gmail.com
बहुत मर्मस्पर्शी कथा... ऐसे ही लिखते रहो... मेरी ढेरो शुभकामनाएँ !

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