मैं सबसे पहले यह बता दूं की मैं सलमान खान का प्रशंसक नहीं हूँ। लेकिन इसके बाद मैं बस यही कहना चाहूँगा कि मैं जिस फिल्ड में हूँ, उसी ने सलमान को एक विलेन कि तरह पेश किया हैं। हालांकि मैं भी मीडिया में हूँ तो एक बात जरूर कहूँगा कि सलमान को जो सज़ा मिल रही हैं उसके लिए उनका एक सफल अभिनेता होना ज़िम्मेदार हैं। कुछ लोग कहते हैं कि सलमान के मन में किसी के प्रति ना तो इज़्ज़त है और ना ही वे परवाह करते हैं कि कौन क्या सोच रहा है। हाँ सलमान इस दुनिया की और इसी दुनिया की बातो की परवाह नही करते हैं? क्या यह गलत करते हैं? मुझे नही लगता हैं। आख़िर वो इस दुनिया कि परवाह क्यों करें। उन्हें जिनकी परवाह करनी चाहिऐ उनकी परवाह वो करते हैं। सलमान अपने भाई- बहनों से उन्हें असीम प्यार करते हैं। इसके अलावा अपने दोस्तो की भी वे परवाह करते हैं। हम प्रेस वाले बड़ी जल्दी ही अपनी औकात भूल जाते हैं और माइक या कलम हाथ में आते ही मान अपने आपको तोप मानने लगते हैं. इसे में यदि सामने वाला हमारे सवालों का जवाब नही देता हैं तो हम प्रेस वाले उसे खलनायक, बदतमीज़ और ना जाने कैसे कैसे शब्दो से नवाज़ाने लगते हैं. हम भूल जाते हैं अपनी ज़िमेदारी. बस मैं तो इतना ही कहना चाहूँगा की दूसरो पर अंगुली उठाने से पहले हमें अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए. पिछले दिनों सलमान जयपुर में विकलांग बच्चों के एक स्कूल में आए थे.. अब पाठक निर्णय ले की सलमान वाकई में बदतमीज़ हैं?
आशीष महर्षि सतपुड़ा से लेकर रणथंभौर के जंगलों से बुरी खबर आ रही है। आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। इतिहास में पहली बार मानसून में भी बाघों के घरों में इंसान टूरिस्ट के रुप में दखल देंगे। ये सब सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए सरकारें कर रही हैं। मप्र से लेकर राजस्थान तक की भाजपा सरकार जंगलों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहती है। इन्हें न तो जंगलों की चिंता है और न ही बाघ की। खबर है कि रणथंभौर के नेशनल पार्क को अब साल भर के लिए खोल दिया जाएगा। इसी तरह सतपुड़ा के जंगलों में स्थित मड़ई में मानसून में भी बफर जोन में टूरिस्ट जा सकेंगे। जब राजस्थान के ही सरिस्का से बाघों के पूरी तरह गायब होने की खबर आई थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरिस्का पहुंच गए थे। लेकिन क्या आपको याद है कि देश के वजीरेआजम मोदी या राजस्थान की मुखिया वसुंधरा या फिर मप्र के सीएम शिवराज ने कभी भी बाघों के लिए दो शब्द भी बोला हो? लेकिन उनकी सरकारें लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले करती जा रही हैं, जिससे बाघों के अस्तिव के सामने खतरा मंडरा रहा है। चूंकि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में उ...
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Galatiyan kisi se ho sakti hain
---बिल्कुल सत्य वचन. वरना तो कितने ही इन्सानों का खून करके खुलेआम घूम रहे हैं.