यह पोस्ट मैं एक खास उद्देश्य से लिख रहा हूँ। जहाँ तक मेरी जानकारी है इस तरह की पोस्ट पहले कभी नहीं लिखी गई होगी। कह सकते हैं कि यह एक सकारात्मक पोस्ट हैं। और शायद मेरे इस प्रयास से मेरे उन कई साथियों को नौकरी मिल सकती है जो दिल्ली में नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। चलिए मैं अपनी बात शुरू करता हूं मेरे कई दोस्त जो इस समय दिल्ली और भोपाल में हैं, उन्हें मीडिया में नौकरी की तलाश है। मेरे इन दोस्तों ने माखन लाल पत्रकारिता विश्वविधालय से पत्रकारिता में दो साल की मास्टर डिग्री ली हैं। ये सभी नौजवान हैं और मीडिया के माध्यम से कुछ करना चाहते हैं, इसमें से कई हालांकि किसी न किसी प्रैस या चैनल से जुड़े हुए हैं। यदि आपके संस्थान में इन्हें एक मौका मिले तो ये पत्रकारिता जगत को काफी कुछ नयापन दे सकते हैं और शायद आज इस तरह के ही पत्रकारों की जरूरत हैं जो आइडिया से भरे हुए हों। यदि अपके संस्थान को अच्छे लोगों की जरूरत हैं तो आप मुझे ९८६७५-७५१७६ या ashish.maharishi@gmail.com पर मेल भी कर सकता हैं.
समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत क्हां से और कैसे करुं। लेकिन शुरुआत तो करनी होगी। मुंबई में दो साल हो गए हैं और अब इस शहर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। यह मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है कि मैं जहां भी रहता हूं उसके मोह में बंध जाता हूं। बनारस से राजस्थान आते भी ऐसा ही कुछ महसूस हुआ था। फिर जयपुर से भोपाल जाते हुए दिल को तकलीफ हुई थी। इसके बाद भोपाल से मुंबई आते हुए भोपाल और दोस्तों को छोड़ते हुए डर लग रहा था। और आज मुंबई छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा है। मैं बार बार लिखता रहा हूं कि मुंबई मेरा दूसरा प्यार है। और किसी भी प्यार को छोडते हुए विरह की अग्नि में जलना बड़ा कष्टदायक होता है। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया। इस शहर से मुझे एक अस्तिव मिला। कुछ वक्त उसके साथ गुजारने का मौका मिला, जिसके साथ मैने सोचा भी नहीं था। मुंबई पर कई लेख लिखते वक्त इस शहरों को पूरी तरह मैने जिया है। लेकिन अब छोड़कर जाना पड़ रहा है। बचपन से लेकर अब तक कई शहरों में जिंदगी बसर करने का मौका मिला। लेकिन बनारस और मुंबई ही दो ऐसे शहर हैं जो मेरे मिजाज से मेल खाते हैं। बाकी शहरों में थोड़ी सी बोरियत होती है लेकिन यहां ऐसा
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आशा है आप अन्यथा नहीं लेंगे.