Skip to main content

गणपति बप्पा मोरिया


कुछ दिनों पहले तक पूरा मुम्बई गणपति के रंग में रंगा हुआ था। मौके का फायदा उठाते हूए मैं अपने एक खास मित्र के संग कैमरा का सदुप्रयोग करने निकल पड़ा। पेश में कैमरे की नज़र में गणपति और मुम्बई का ...







ऊपर वाले चित्र में लोग गिरगाँव में

जबकी बगल वाले चित्र मे गणपति के रंग में रंगे लोग



गणपति बप्पा मोरिया











































Comments

Anonymous said…
sach me ashish ji,
ganpati bappa mauriya...!
आशीष भाई आपने गणपति उत्सव के छायाचित्र तो खींचे हैं परंतु न तो उनका कोई एंगल ही है और न ही उनमें उतनी सफाई है जितनी होनी चाहिये।
अउअर हां आपने गणपति उत्सव की तस्वीरें तो खींच लीं परंतु क्या आपने देखा है कि इस उत्सव के ठीक बाद हमारे इन प्रिय गण्पति का क्या हश्र होता है????
यदि देखना चाहें तो एक नज़र मेरे ब्लॉग पर अवश्य डालें.........
http://kabadkhana.blogspot.com/
http://ishamammain.blogspot.com/

Popular posts from this blog

बाघों की मौत के लिए फिर मोदी होंगे जिम्मेदार?

आशीष महर्षि  सतपुड़ा से लेकर रणथंभौर के जंगलों से बुरी खबर आ रही है। आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। इतिहास में पहली बार मानसून में भी बाघों के घरों में इंसान टूरिस्ट के रुप में दखल देंगे। ये सब सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए सरकारें कर रही हैं। मप्र से लेकर राजस्थान तक की भाजपा सरकार जंगलों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहती है। इन्हें न तो जंगलों की चिंता है और न ही बाघ की। खबर है कि रणथंभौर के नेशनल पार्क को अब साल भर के लिए खोल दिया जाएगा। इसी तरह सतपुड़ा के जंगलों में स्थित मड़ई में मानसून में भी बफर जोन में टूरिस्ट जा सकेंगे।  जब राजस्थान के ही सरिस्का से बाघों के पूरी तरह गायब होने की खबर आई थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरिस्का पहुंच गए थे। लेकिन क्या आपको याद है कि देश के वजीरेआजम मोदी या राजस्थान की मुखिया वसुंधरा या फिर मप्र के सीएम शिवराज ने कभी भी बाघों के लिए दो शब्द भी बोला हो? लेकिन उनकी सरकारें लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले करती जा रही हैं, जिससे बाघों के अस्तिव के सामने खतरा मंडरा रहा है। चूंकि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में उ...

मेरे लिए पत्रकारिता की पाठशाला हैं पी साईनाथ

देश के जाने माने पत्रकार पी साईनाथ को मैग्‍ससे पुरस्‍कार मिलना यह स‍ाबित करता है कि देश में आज भी अच्‍छे पत्रकारों की जरुरत है। वरना वैश्विककरण और बाजारु पत्रकारिता में अच्‍छी आवाज की कमी काफी खलती है। लेकिन साईनाथ जी को पुरस्‍कार मिलना एक सार्थक कदम है। देश में कई सालों बाद किसी पत्रकार को यह पुरस्‍कार मिला है। साईनाथ जी से मेरे पहली मुलाकात उस वक्‍त हुई थी जब मैं जयपुर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के अलावा मैं वहां के कई जनआंदोलन से भी जुड़ा था। पी साईनाथ्‍ा जी भी उसी दौरान जयपुर आए हुए थे। कई दिनों तक हम लोग साथ थे। उस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला था उनसे। मुझे याद है कि मै और मेरे एक दोस्‍त ने साईनाथ जी को राजधानी के युवा पत्रकारों से मिलाने के लिए प्रेस क्‍लब में एक बैठक करना चाह रहे थे। लेकिन इसे जयपुर का दुभाग्‍य ही कहेंगे कि वहां के पत्रकारों की आपसी राजनीति के कारण हमें प्रेस क्‍लब नहीं मिला। लेकिन हम सबने बैठक की। प्रेस क्‍लब के पास ही एक सेंट्रल पार्क है जहां हम लोग काफी देर तक देश विदेश के मुददों से लेकर पत्रकारिता के भविष्‍य तक पर बतियाते रहे। उस समय साईनाथ किसी स...

प्रद्युम्न तुम्हारे कत्ल के लिए हम भी जिम्मेदार हैं

प्रिय प्रद्युम्न,  तुम जहां भी हो, अपना ख्याल रखना। क्योंकि अब तुम्हारा ख्याल रखने के लिए तुम्हारे मां और पिता तुम्हारे साथ नहीं हैं। हमें भी माफ कर देना। सात साल की उम्र में तुम्हें इस दुनिया से जाना पड़ा। हम तुम्हारी जान नहीं बचा पाए। तुम्हारी मौत के लिए रेयान इंटरनेशनल स्कूल का बस कंडक्टर ही नहीं, बल्कि हम सब भी जिम्मेदार हैं। आखिर हमने कैसे समाज का निर्माण किया है, जहां एक आदमी अपनी हवस को बुझाने के लिए  स्कूल का यूज कर रहा था। लेकिन गलत वक्त पर तुमने उसे देख लिया। अपने गुनाह को छुपाने के लिए इस कंडक्टर ने चाकू से तुम्हारा गला रेत कर कत्ल कर देता है। हम क्यों सिर्फ ड्राइवर को ही जिम्मेदार मानें? क्या स्कूल के मैनेजमेंट को इसलिए छोड़ दिया जा सकता है? हां, उन्हें कुछ नहीं होगा। क्योंकि उनकी पहुंच सत्ताधारी पार्टी तक है। प्रिय प्रद्युम्न, हमें माफ कर देना। हम तुम्हें कभी इंसाफ नहीं दिलवा पाएंगे। क्योंकि तुम्हारे रेयान इंटरनेशनल स्कूल की मालिकन सत्ता की काफी करीबी हैं। मैडम ने पिछले चुनाव में अपने देशभर के स्कूलों में एक खास पार्टी के लिए मेंबरशिप का अभियान चलाया था। ज...