Skip to main content

काले कौवे

अब काले कौवे नहीं दिखते हैं साख पर
संसद में उनकी आवाजाही बढ़ गई है

खादी की टोपी से लेकर नेकर तक
कौवे कांव कांव कर रहे हैं संसद में

किसी के लिए राम जरुरी है
किसी के लिए जरुरी है गरीबों का हाथ
फिर भी कौवे कांव कांव कर रहे हैं

कोई कहता है कि वे गायब हो रहे हैं
तो कोई कहता है कि संसद निगल रही है उनको
गली से लेकर संसद के गलियारों तक में
कौवे कांव कांव कर रहे हैं

मुंबई, 18 जनवरी 2008

Comments

Anonymous said…
भाई दरसल कौओं ने अब इंसानी नकाब पहन लिये हैं...कई पंछियों की लुप्त होती प्रजाति पर हम सब चिंतित हैं , लेकिन इन नकाबपोश कौओं की बढ़ती आबादी को लेकर ट्रस्ट भी...!
Anita kumar said…
कौवे संसद में ही नहीं सब जगह फ़ैले हुए है। पहले गंदगी साफ़ करने में मददगार होते थे अब गंदगी फ़ैला रहे हैं। पहले हमारे पूर्वजों तक हमारे संदेसे ले जाने के वाहक थे अब खुद ही लूट कर खा रहे हैं । कलियुग में कौआ स्तुति करना बहुत जरुरी है भई। इस दुनिया में जीन है तो कौआ बन प्यारे…॥:)
दरअसल काले कौए सफेद खादी पहिनने लगे है इसीलिए दिखते नही है बस इनकी करटूते दिखती है, कल जबलपुर मे महिला निगामायुक्त के मुँह पर एक महिला पार्षद ने कालिख फेंक दी .है काले कोओ का यह बढ़िया उदाहरण
काले कौओं ने सफेद चादर ओढ़ ली है ताकि उन्‍हें कोई पहचान नहीं पाए लेकिन जनता उन्‍हें पहचानती है। सटीक कविता अर्थभरी। रचना क्रम इसी तरह जारी रखें।

Popular posts from this blog

बाघों की मौत के लिए फिर मोदी होंगे जिम्मेदार?

आशीष महर्षि  सतपुड़ा से लेकर रणथंभौर के जंगलों से बुरी खबर आ रही है। आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। इतिहास में पहली बार मानसून में भी बाघों के घरों में इंसान टूरिस्ट के रुप में दखल देंगे। ये सब सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए सरकारें कर रही हैं। मप्र से लेकर राजस्थान तक की भाजपा सरकार जंगलों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहती है। इन्हें न तो जंगलों की चिंता है और न ही बाघ की। खबर है कि रणथंभौर के नेशनल पार्क को अब साल भर के लिए खोल दिया जाएगा। इसी तरह सतपुड़ा के जंगलों में स्थित मड़ई में मानसून में भी बफर जोन में टूरिस्ट जा सकेंगे।  जब राजस्थान के ही सरिस्का से बाघों के पूरी तरह गायब होने की खबर आई थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरिस्का पहुंच गए थे। लेकिन क्या आपको याद है कि देश के वजीरेआजम मोदी या राजस्थान की मुखिया वसुंधरा या फिर मप्र के सीएम शिवराज ने कभी भी बाघों के लिए दो शब्द भी बोला हो? लेकिन उनकी सरकारें लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले करती जा रही हैं, जिससे बाघों के अस्तिव के सामने खतरा मंडरा रहा है। चूंकि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में उ...

मेरे लिए पत्रकारिता की पाठशाला हैं पी साईनाथ

देश के जाने माने पत्रकार पी साईनाथ को मैग्‍ससे पुरस्‍कार मिलना यह स‍ाबित करता है कि देश में आज भी अच्‍छे पत्रकारों की जरुरत है। वरना वैश्विककरण और बाजारु पत्रकारिता में अच्‍छी आवाज की कमी काफी खलती है। लेकिन साईनाथ जी को पुरस्‍कार मिलना एक सार्थक कदम है। देश में कई सालों बाद किसी पत्रकार को यह पुरस्‍कार मिला है। साईनाथ जी से मेरे पहली मुलाकात उस वक्‍त हुई थी जब मैं जयपुर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के अलावा मैं वहां के कई जनआंदोलन से भी जुड़ा था। पी साईनाथ्‍ा जी भी उसी दौरान जयपुर आए हुए थे। कई दिनों तक हम लोग साथ थे। उस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला था उनसे। मुझे याद है कि मै और मेरे एक दोस्‍त ने साईनाथ जी को राजधानी के युवा पत्रकारों से मिलाने के लिए प्रेस क्‍लब में एक बैठक करना चाह रहे थे। लेकिन इसे जयपुर का दुभाग्‍य ही कहेंगे कि वहां के पत्रकारों की आपसी राजनीति के कारण हमें प्रेस क्‍लब नहीं मिला। लेकिन हम सबने बैठक की। प्रेस क्‍लब के पास ही एक सेंट्रल पार्क है जहां हम लोग काफी देर तक देश विदेश के मुददों से लेकर पत्रकारिता के भविष्‍य तक पर बतियाते रहे। उस समय साईनाथ किसी स...

ब्‍लॉग का फैलता महाजाल

मेरे ख्‍याल से वाह मनी पहला भारतीय ब्‍लॉग होगा जिसे पत्रकारों की जरुरत है और मीडिया हाउस की तरह वेकेंसी दी है। हालांकि, मांगे गए केवल दो पत्रकार ही हैं लेकिन यह शुरूआती कदम अच्‍छा कहा जा सकता है। इसे ब्‍लॉग का व्‍यावसायिकरण भी माना जा सकता है और यह तो तय होगा ही कि ब्‍लॉग के माध्‍यम से वाह मनी पैसे अर्जित कर रहा होगा या फिर उनकी ऐसी योजना होगी अन्‍यथा अकेले ही लेखन न कर लेते। तक मुझे जानकारी मिली है वाह मनी कुछ एजेंसियों से कंटेट खरीदने का करार करने जा रहा है और मुंबई में अपने सेटअप को बढ़ा रहा है। इस ब्‍लॉग पर सालाना निवेश केवल कंटेट को लेकर ही दो लाख रुपए खर्च करने तक की योजना है। इसके अलावा तकनीकी और स्‍टॉफ पर लागत अलग बैठेगी। इसी साल फरवरी में शुरू हुआ यह ब्‍लॉग काफी कम समय यानी साढ़े सात महीने में ही वह सफलता हासिल करने जा रहा है, जहां वह वेतन पर पत्रकार रखना चाहता है जबकि अनेक पुराने ब्‍लॉग यह अब तक नहीं कर पाए। हालांकि, इस ब्‍लॉग पर विज्ञापन नहीं है लेकिन निवेश सलाह से आय अर्जित करने की जानकारी हाथ लगी है। देश में जिस तरह से हिन्‍दी ब्लॉग की संख्‍या बढ़ रही है, वो काफी शुभ संके...