
देर रात जैसे ही उसे फेसबुक खोला, इनबॉक्स में एक मैसेज था किसी अमित का। अमित ने उसे एड करने की रिक्वेस्ट भेजी थी। उसने पहले उसे इगनोर करने की कोशिश की फिर उसकी प्रोफाइल में जाकर और डिटेल खोजने लगी। अमित के एबाउट मी को पढ़कर वह खुद को उसे एड करने से नहीं रोक पाई। एबाउट मी में लिखा था.मेरे आसपास हर पल बहुत कुछ घटता है लेकिन मैं बिखरता नहीं हूं। बल्कि आसमां की तरह मेरा और विस्तार होता जाता है और सागर की तरह और गहरा।
रात गई, बात गई। अगली सुबह जब वह ऑफिस पहुंची तो अचानक उसके मोबाइल ने बीप किया। फेसबुक पर कोई मैसेज था। यह मैसेज अमित का था। उसने थैक यूं लिखा था। वह तुंरत अपने केबिन की ओर मुड़ी और लैपटॉप ऑन करने के साथ ही फेसबुक लॉग किया। वह ऑनलाइन का। बातों का सिलसिला निकल पड़ा। ऐसे ही कई दिन और रात बीत गई। अब अमित और वह अच्छे दोस्त बन चुके थे। दोनों ने अपने-अपने नंबर भी शेयर कर चुके थे एक दूसरे से। लेकिन अब तक फोन पर बात नहीं हुई थी।
वह बरसात की शाम की। शहर को पहली बार बारिश ने भिगोया था। कार ड्राइव करते हुए वह घर की ओर लौट रही थी। अचानक उसका मोबाइल बजा। यह अमित का कॉल था। वह उससे मिलना चाहता था। अंधेरी में भयानक जाम लग चुका था। एक के पीछे एक गाड़ियों की लंबी कतार। बाइकवाले इधर-उधर कट मार कर लगातार आगे बढ़ रहे थे लेकिन उसकी कार रेंग रही थी। पर उसका दिल धड़क रहा था। अमित उससे मिलना चाहता था। वह मलाड में वन बीएचके फ्लैट में रहता था।
continued...
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