
एक बार फिर उसका दिल्ली जाना हुआ। शहर में झमाझम बारिश हो रही थी। एयरपोर्ट से घर पहुंचने के लिए उसने टैक्सी ली। टैक्सी में जैसे ही वह बैठा, एफएम के गाने ने उसे अतीत में ले जाकर पटक दिया। गाने के बोल कुछ यूं थे.चलते-चलते क्यूं ये फासले हो गए..इस गाने में वह खुद को खोजने लगा। शीशे से बाहर झांकते हुए उसकी निगाह किसी को खोज रही थी। वह जा चुकी थी। उनके बीच फासले बहुत बढ़ चुके थे।
उसने कार को रुकवाया और खुद को भिगोने के लिए बाहर निकला। बरखा पूरे शबाब पर थी। एक-एक बूंदे उसे जला रही थी। वह लगातार भीग रहा था। वह लगातार जल रहा था। भीगते-भीगते जब वह थक गया तो राजपथ के किनारे फुटपाथ पर दोनों हाथों से माथे को पकड़ कर बैठ गया। वक्त का पहिया उलटा चल चुका था। वह पिछले साल में था। वह बारिश की एक खूबसूरत रात थी। जब वह दोनों पहली बार दिलवालों के शहर दिल्ली में मिले थे। दोनों बहुत खुश थे। बारिश की पहली बूंदों की तरह उनकी जिंदगी भी महक रही थी। सबकुछ सामान्य था। दोनों एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे। बालकनी में बूंदे पूरे शबाब के साथ बरस रही थीं। उसी बालकनी से वह दोनों बारिश की उन मासूम बूंदों के साथ खेल रहे थे। वह बार-बार उन बूंदों से अपने चेहरे को भिगो रही थी। बारिश की बूंदों से भीगने के बाद उसका चेहरा और अधिक खिल उठ था। वह उन दोनों की जिंदगी की पहली रात थी, जब वह एक साथ थे। जिंदगी में इससे खूबसूरत रात कभी नहीं आ पाई। उन्होंने पूरी रात जागकर बिताई।
वह पूरे एक साल बाद फिर से उस शहर में था। लेकिन सबकुछ बदल चुका था। मौसम बदल गया। फिजाएं बदल गईं। रिश्ते बदल गए। इस बार वह अकेले था इस शहर में। घर पहुंचा तो रास्ते भर उसके बारे में ही सोचता रहा। जिस सड़कों पर वह पिछले बार उसके साथ था, आज वह सड़कें उसे खाने को दौड़ रही थी। शहर जाग चुका था लेकिन वह तो कई महीनों से सोया ही नहीं था। आज भी नहीं सो पाएगा वह। किसी तरह घर पहुंचा तो हर तरफ उसकी मौजूदगी का भम्र उसे हुआ। लेकिन वह कहीं भी न थी। बस उसके साथ बिताए गए खूबसूरत पल उस घर में थे। दिनभर काम निपटाने के बाद जब वह फिर से देर रात घर पहुंचा था तो उसकी यादें उसे फिर से तंग करने लगी। उसने फ्रिज खोला तो उसमें वाइन रखी हुई थी। एक ग्लास में वाइन भर कर वह बालकनी में आया। एक हाथ में सिगरेट थी। भले ही बाहर बारिश हो रही हो लेकिन वह उसकी याद में झुलस रहा था। उसने एक ही बार में पूरी वाइन पी ली। सिगरेट कब जलते-जलते खत्म हो गई, पता ही नहीं चला।
नोट : यह पूरी तरह एक काल्पनिक कहानी है। इसका वास्तविक चरित्र से कोई लेना-देना नहीं है। यह बस मेरी नई कहानी के बीच का एक अंश है)
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