Skip to main content

अब सबसे खतरनाक होता है सपनों का अधूरे रह जाना

कल रात पाश मेरे सपने में आए
मुझे जगाया और फिर जोर-जोर से चिल्लाए
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपना का मर जाना
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपना का मर जाना

मैंने सोती आंखों से उन्हें चुप कराया
कहा, बंद कीजिए अपनी बकवास
अब जमाना बदल चुका है, सपनों का कोई मोल नहीं
अब सबसे खतरनाक होता है सपनों का अधूरा रह जाना

पाश फिर भी नहीं झुके, मैं भी झुकने को तैयार नहीं
बहस पूरे शबाब पर थी

उन्होंने मेरी कालर पकड़ी और कहा
सपनों को मत मरने दो.

मैंने भी कहा, कैसे सपने जो अधूरे रह जाते हैं
जो हकीकत बनने से पहले टूट-टूट कर बिखर जाते हैं

Comments

मेरा भी विचार है कि सपने को कभी मरने न दो ...टूटे बिखरे सपनो को फिर भी जोड़ा जा सकता है लेकिन अगर मर गए तो ......फिर से ज़िन्दा कहाँ कर पाएँगे !!!!!
अधूरे सपने यही बताते हैं कि उन्हें पूरा करने का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया...कहीं ना कहीं कोई कमी रह गई....
bhagat said…
मै भी आजकल या कहें की हर मौसम में यह सोचता हूँ की आखिर कब तक मै आपने सपनो के पीछे भागता रहूँगा. जो आज तक १% भी पूरे नहीं हुए. अब आधा बुडापा आ चूका है. लेकिन जब मै उन लोगो को देखता हूँ जो केवल अपनी अजीबिका चलने के लिए मजदूरी करते है. तो मै सोचता हूँ. की मै उनसे बेहतर स्तिथि में हूँ. ये सपने मन के आसमान में वेबक्त बादलों की तरह छा जातें हैं. और मन बेचैन होने लगता है. और इन बादलों या कहें कि इन सपनों को रोकना मुस्किल हो जाता है.
bhagat said…
मै भी आजकल या कहें की हर मौसम में यह सोचता हूँ की आखिर कब तक मै आपने सपनो के पीछे भागता रहूँगा. जो आज तक १% भी पूरे नहीं हुए. अब आधा बुडापा आ चूका है. लेकिन जब मै उन लोगो को देखता हूँ जो केवल अपनी अजीबिका चलने के लिए मजदूरी करते है. तो मै सोचता हूँ. की मै उनसे बेहतर स्तिथि में हूँ. ये सपने मन के आसमान में वेबक्त बादलों की तरह छा जातें हैं. और मन बेचैन होने लगता है. और इन बादलों या कहें कि इन सपनों को रोकना मुस्किल हो जाता है.
leftover said…
Bahut acchi abhivyakti hai... sapno ka marna aur unka adhoora reh jana dono hi accha nahi hai... jab hamare sapne adhoore reh jaate hain.. to dheere dheere we mar bhi jate hain... Unhe Zinda rakhne ke liye, unhe poora karne ki shiddat se koshish jaari rakhni chahiye.. Ya phir aisa sapna dekhna chahiye jisse poora karne ka madda ho...
Mahi S said…
सपनों का मतलब ही शायद आधुरापन है...
nice read

Popular posts from this blog

मुंबई का कड़वा सच

मुंबई या‍नि मायानगरी। मुंबई का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक उस शहर की तस्‍वीर सामने आती हैं जहां हर रोज लाखों लोग अपने सपनों के संग आते हैं और फिर जी जान से जुट जाते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए। मुंबई जानी जाती है कि हमेशा एक जागते हुए शहर में। वो शहर जो कभी नहीं सोता है, मुंबई सिर्फ जगमगाता ही है। लेकिन मुंबई में ही एक और भी दुनिया है जो कि हमें नहीं दिखती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं बोरिवली के आसपास के जंगलों में रहने वाले उन आदिवासियों की जो कि पिछले दिनों राष्‍ट्रीय खबर में छाए रहे अपनी गरीबी और तंगहाली को लेकर। आप सोच रहे होंगे कि कंक्रीट के जंगलों में असली जंगल और आदिवासी। दिमाग पर अधिक जोर लगाने का प्रयास करना बेकार है। मुंबई के बोरिवली जहां राजीव गांधी के नाम पर एक राष्ट्रीय पार्क है। इस पार्क में कुछ आदिवासियों के गांव हैं, जो कि सैकड़ो सालों से इन जंगलों में हैं। आज पर्याप्‍त कमाई नहीं हो पाने के कारण इनके बच्‍चे कुपो‍षित हैं, महिलाओं की स्थिति भी कोई खास नहीं है। पार्क में आने वाले जो अपना झूठा खाना फेंक देते हैं, बच्‍चे उन्‍हें खा कर गुजारा कर लेते हैं। आदिवासी आदम...

बेनामी जी आपके लिए

गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...

प्यार, मोहब्बत और वो

आप यकिन कीजिए मुझे प्यार हो गया है. दिक्कत बस इतनी सी है कि उनकी उमर मुझसे थोडी सी ज्यादा है. मैं २५ बरस का हूँ और उन्होंने ४५ वा बसंत पार किया है. पेशे से वो डाक्टर हैं. इसी शहर में रहती हैं. सोचता हूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार कर ही दूँ. लेकिन डर भी सता रहा है. यदि उन्होंने ना कर दिया तो. खैर यह उनका विशेषाधिकार भी है. उनसे पहली मुलाकात एक स्टोरी के चक्कर में हुई थी. शहर में किसी डाक्टर का कमेन्ट चाहिए था. सामने एक अस्पताल दिखा और धुस गया मैं अन्दर. बस वहीं उनसे पहली बार मुलाकात हुई. इसके बाद आए दिन मुलाकातें बढती गई. यकीं मानिये उनका साथ उनकी बातें मुझे शानदार लगती हैं. मैं उनसे मिलने का कोई बहाना नहीं छोड़ता हूँ. अब आप ही बताएं मैं क्या करूँ..