
अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम इतना उदास क्यों रहते हैं। कम क्यों बोलते हो? मेरे पास मुस्कुराने के अलावा कोई जवाब नहीं होता है। लेकिन मैं जानता हूं कि यह मुस्कुराहट सिर्फ लोगों को बेवफूक बनाने के लिए है। उसे गए कई दिन हो गए। मैं हर दिन उंगुलियों पर गिनता हूं कि वह फिर लौटेगी। इंतजार कब दिन से महीने में बदल गए, यह सिर्फ मैं जानता हूं।
खैर.देर रात हो चुकी है। मैं छत पर बैठा हूं जहां से पूरा शहर नजर आता है। आसमान शायद साफ है लेकिन मुझे धुंधला सा दिखाई दे रहा है। आंखों को पोछता हूं तो महसूस हुआ कि आंखों में पानी है। क्या तुम्हे याद है जब हम एक साथ इन्हीें आंखों से कई सपने देखे थे। याद है, मुझे पूरा यकीन है।
वह अतीत में लौट चुका था। झुलसा देने वाले गर्मी भी उसे अच्छी लगती थी जब वह उसके साथ होता था। उसके होने का अहसास भी काफी था मेरे पास। लेकिन आज मैं अकेला हूं। सोच रहा हूं कि आखिर मेरे गुनाह की इतनी बड़ी सजा मुझे क्यों मिली। कहते हैं कि सुबह का भूला यदि शाम को लौटे तो उसे माफ कर देना चाहिए। क्या तुम मुझे माफ नहीं करोगी। तुम मुझसे भले ही कोसो दूर चली गई हो, भले ही मेरे एक फैसले से हमारे बीच फासले बढ़ गए लेकिन तुम्हें आज भी मैं अपने करीब ही महसूस करता हूं
रात के एक बज चुके हैं। सुबह जल्दी ऑफिस भी जाना है। और बस कुछ अधूरे सवाल के साथ मैं नीचे उतर रहा हूं, क्या तुम मुझे कभी माफ नहीं करोगी? क्या मैं अब इतना बुरा हो गया हूं? क्या मैंने तुम्हें कभी खुशी नहीं दी?
(ये मेरी एक कहानी के बीच की कुछ लाइनें हैं)
Comments
http://www.pritimavats.blogspot.com/.